फिल्म जगत के बेहतरीन एक्टर संजय मिश्रा इन दिनों अपनी फिल्म ‘वो 3 दिन’ को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। आम आदमी जैसे दिखने वाले संजय मिश्रा अपनी पसंद के ही किरदार करते हैं, जो उनकी पर्सनेलिटी को सूट भी करते हैं। ‘वो 3 दिन’ में उन्हें रिक्शा चालक दिखाया गया है। इस फिल्म में संजय मिश्रा एक छोटे से गांव के गरीब इंसान दिखाए गए हैं। फिल्म इन दिनों सिनेमाघरों में लगी हुई है और लोगों को पसंद भी आ रही है।
दैनिक जागरण के साथ बात करते हुए संजय मिश्रा ने अपने फिल्मी करियर के बारे में बातें की। संजय ने बताया कि उन्हें बड़े पर्दे पर आम इंसान का किरदार निभाना पसंद है। इस फिल्म के बारे में बात करते हुए एक्टर ने कहा कि हर छोटे शहरों में ऐसे लोग होते हैं, कोई ताला खोलने वाला, चाय वाला, लोहा ठोकने वाला, जिनकी जिंदगी अलग होती है। वो अपने बच्चों को अच्छे कपड़े और बेहतर शिक्षा देने की कोशिश में लगे रहते हैं।
एक्टर ने से पूछा गया कि उनको एक रिक्शा वाला दिखने के लिए अलग से मेकअप करना पड़ा था। तो उन्होंने कहा कि रिक्शा ही उनका सबसे बड़ा मेकअप था। वो रिक्शा पर कई बार सो भी जाते थे। उन्होंने अपने किरदार को नेचुरल दिखाने के लिए वास्तव में रिक्शा वाले का जीवन जीने की कोशिश की। एक्टर ने कहा कि अगर वो कड़ी धूप में न जलते, उन्हें पानी की कमी महसूस न होती तो दर्शक फिल्म को महसूस कैसे कर पाते।
शूट के दौरान लोगों ने समझ लिया था मुर्दा
संजय मिश्रा ने एक वाकया शेयर किया जब उन्हें लोगों ने सच में मृत समझ लिया था। उन्होंने बताया कि वो पटना में ‘डेथ ऑन ए संडे’ की शूटिंग कर रहे थे। पटना उनका जन्मस्थल भी है। उन्हें फिल्म में मरने का सीन करना था और उन्हें वास्तव की अर्थी से लेकर श्मशान तक में लेटना था। जब शूटिंग के दौरान उन्हें राम नाम सत्य बोलकर ले जाया जाने लगा तो लोग आकर हाथ जोड़ने लगे। लोग हैरान थे कि वो मर कैसे गए।
जिस श्मशान में जली थी दादी की चिता वहीं हुई शूटिंग
संजय मिश्रा ने बताया कि जिस श्मशान में शूट के लिए उन्हें ले जाया गया, उसी में उनकी दादी का अंतिम संस्कार भी हुआ था। जब ये बात उन्होंने अपनी मां से कही तो वो नाराज हो गईं और कहने लगीं कि तुम्हें ऐसे सीन करने ही नहीं चाहिए।
