कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में 21 जून को लगभग 86 लाख लोगों को टीका लगाया गया। सरकार इससे अभूतपूर्व करार दे रही है। उधर, वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इसकी तुलना पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान से की और कहा कि पोलियो अभियान के सामने आज का टीकाकरण पिट गया। सिर्फ 86 लाख डोज ही लगे। हालांकि उनके इस बयान पर तमाम लोग उन्हें ही उलाहना देने लगे और सवाल किया कि आखिर ये किस तरह की तुलना है?

क्या लिखा था रवीश कुमार ने? रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में लिखा कि फरवरी 2012 में पल्स पोलियो अभियान के तहत 1 दिन में 17 करोड़ से अधिक बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई थी। 10 साल बाद गोदी मीडिया के प्रोपेगेंडा और करोड़ों रुपए के विज्ञापन के सहारे सरकार पूरा जोर लगाती है और एक दिन में 86 लाख डोज ही लगा पाती है। पोलियो अभियान की आलोचना करने वाले चरण की धूल भी नहीं छू सके…।

लोग करने लगे खिंचाई: रवीश कुमार की इसी पोस्ट पर तमाम यूजर्स उन्हीं की खिंचाई करने लगे। राकेश सिंह नाम के यूजर ने लिखा, ‘पोलियो की डोज सबको लगानी पड़ती है, ताकि अभियान पूर्ण हो सके और किसी बच्चे से संक्रमण न फैले। दवा पिलाना और सुई लगाना…वह भी रजिस्ट्रेशन करके… सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन करते हुए, दोनों में बहुत अंतर है’।

अमित नारंग ने लिखा, ‘पोलियो की दवा पिलाकर आधा घंटा इंतजार नहीं करते। पोलियो की दवा पिलाने से पहले रजिस्ट्रेशन, ओटीपी जैसा कोई झंझट नहीं है। कोई भी बच्चा जहां दिखता है, दवा पिलाते देते हैं।’ संदीप नाम के यूजर ने लिखा ‘पोलियो की दो बूंद और इसमें अंतर है। बिना जाने-समझे कुछ भी लिख देते हैं और कुछ भी तुलना करने लगते हैं।’

बालेंदु मिश्रा ने लिखा ‘रवीश जी, पोलियो की दो बूंद और कोरोना टीकाकरण की तुलना केवल आलोचना के लिए बहुत सतही है। पोलियो की दवा घर-घर जाकर पिलाई जाती है। इसके लिए किसी प्रशिक्षित नर्स आदि की जरूरत नहीं होती है, जबकि कोरोना टीकाकरण में तमाम बातों का ध्यान रखना पड़ता है’। संदीप स्वरूप ने लिखा, ‘तथ्य आधारित आलोचना करें, अनर्गल प्रलाप नहीं।’