पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही सियासी रणनीति तैयार होने लगी है। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जोरदार टक्कर है। इधर, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राकेश टिकैत ने भी कमर कस ली है। उनका कहना है कि सरकार इस वक्त चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल में बिजी है ऐसे में वह भी पश्चिम बंगाल ही पहुंच रहे हैं।

राकेश टिकैत ने कहा है कि- ‘सरकार जा रही है घूमने बाहर, आजाएंगे एक आद महीने में दिल्ली में। कलकत्ते जा रही है सरकार तो हम भी जा रहे हैं। वहीं मुलाकात होगी। 13 तारीख को वहीं मिलेंगे सरकार से। हम तो वहां जाकर किसानों से बात करेंगे कि किसानों को वहां किस तरह की परेशानियां हैं, MSP में उनकी खरीद हो रही है कि नहीं हो रही है? 13 की एक मीटिंग है वहां पर।’

राकेश टिकैत ने अपने ऑफीशियल ट्विटर अकाउंट से भी दो ट्वीट किए जिसमें उन्होंने कहा- ‘सरकार किसान को जाति-धर्म में बांटने का काम कर रही है, लेकिन किसान जाति और धर्म में नहीं बटेंगा। अनाज खाद्य कृषि उत्पाद से संबंध रखने वाले हर उस व्यक्ति का जाति धर्म केवल किसान कौम है।

किसान लीडर राकेश टिकैत ‘अगले ट्वीट में बोले- ’13 मार्च को पश्चिम बंगाल जाऊंगा, वहां किसानों-मजदूरों व युवाओं से मिलूंगा, तीनों काले कानून और एमएसपी पर किसानों से बात करूंगा, सरकार ने किसान की पगड़ी उछालने का काम किया है।’

राकेश टिकैत के इस ऐलान के बाद से सोशल मीडिया पर उन्हें ढेरों रिएक्शन मिलने लगे। विवेक पांडे नाम के यूजर ने लिखा- सरकार किसान को बांट रही है, पर जाती और धर्म में नहीं, बल्कि वो उनको उनका हक, उनकी सम्मान निधि, उनके जीवन यापन की सुविधाएं बांट रही है। और एक तुम हो जो अंट संट बोलकर उनको मौत बांट रहे हो। सत्या चौधरी नाम के यूजर ने कहा- बात तो सही है चाचा पर किसान सिर्फ़ मंडी में ही लाइसेन्स वालों को बेचे वो अपनी मर्ज़ी से ख़रीदे कोई बाहर का या असली ख़रीदार किसान से सीधा ना ख़रीद पाए इस में किस का भला है?

एक ने लिखा- मैंने किसानों के हित में प्रधानमंत्री जी को सुझाव दिए और उन्होंने माने। आज भी मैं इस बात पर अड़ा हूं कि किसानों की फसलें सब एमएसपी पर बिकनी चाहिए। इसी से देश में खुशहाली आ सकती है। इनके अलावा मैंने गांव में रोजगार बढ़ाने के लिए डेरी एंड बी देवलमेंट कॉर्पोरेशन का सुझाव भी दिया। लव कुमार नाम के यूजर ने लिखा-इतनी बार चुनाव हारने के बाद और 100 दिन तथाकथित आंदोलन करने के बाद अब समझ में आया कि सरकार जाति धर्म में किसानों को बांटने का काम कर रही है? जबकी किसान सिर्फ दो भागो में बंटा है । 1-छद्मवेषी किसान टिकैत ऐण्ड कम्पनी 2-देश के असली और गरीब छोटे किसान।

नरदीप चौधरी नाम के यूजर बोले- 13मार्च को क्यों आज ही चले जाओ, और इन सबको भी साथ ले जाओ..सब पर सवाल उठाते हो, एक बेटी ने तुमसे सवाल पूछा, तो तुम्हारे मंच पर मौजूद लोगों ने उसे छात्र संघ की दलाल कह दिया..तुम भी तो सरकार से सवाल पूछते हो, तुम क्या हुए? और सुनो बंगाल ही क्यों यूपी में भी प्रचार करो, भ्रम टूट जायेगा।