कृषि कानून रद्द होने के बाद किसानों की घर वापसी भी शुरू हो गई है। गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि वह भी 15 दिसंबर को अपने गांव सिसौली लौट जाएंगे। इतना ही नहीं टिकैत ने साफ कर दिया है कि वह अभी शांत नहीं बैठने वाले हैं और देश के अलग-अलग राज्यों में किसानों के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे। इसी क्रम में वह महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश भी जाएंगे।

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान उनसे चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया था। उनसे सवाल पूछा गया था, ‘चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो क्या राकेश टिकैत किसी मंच पर, किसी राजनीतिक दल का समर्थन करते हुए नज़र आएंगे।’ इसके जवाब में टिकैत ने दो टूक कहा था, ‘हम लोग बिल्कुल भी नहीं और किसी भी कीमत पर समर्थन या प्रचार नहीं करेंगे। सब लोगों ने ठीक कहा क्योंकि हम तो बस इतना ही कहना चाहते हैं कि अगर किसी राजनीतिक दल ने हमारा समर्थन किया तो उनका धन्यवाद, लेकिन हमारा समर्थन किसी को ऐसे नहीं मिलेगा।’

राकेश टिकैत आगे कहते हैं, ‘हम लोगों के समर्थन करने या नहीं करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। जनता अपने आप देखती है सबकुछ, उसे कुछ बताने की जरूरत नहीं होती है। इस पूरे आंदोलन के दौरान भी जिसने जो किया वो जनता को दिख ही रहा था। इसलिए, हमारे समर्थन करने या नहीं करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है। हम लोग तो अपने बारे में बता सकते हैं और हमेशा अपनी बात पर डटे भी रहेंगे कि हमारा कोई समर्थन नहीं है। चुनाव लड़ने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है अभी।’

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद फैसला किया गया था कि अलग-अलग जगहों पर सभा की जाएगी। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने इस बारे में कहा था कि हम लोग ऐसे राज्यों में भी जाएंगे जहां कोई चुनाव नहीं है, इसलिए हमारे आंदोलन का चुनाव से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था, ‘जहां भी लोग हमें बुलाते हैं और जरूरत होती है वहां हम बैठकें आयोजित करते हैं।’ राकेश टिकैत ने कहा था कि 19 दिसंबर को महाराष्ट्र के वर्धा और 17 दिसंबर को तमिलनाडु जा रहे हैं।