कृषि कानूनों के विरोध में देश भर से आए किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपने ट्रैक्टर, ट्रॉली के साथ डटे हुए हैं। कई दौर की बातचीत के बाद भी किसानों और सरकार के बीच का गतिरोध खत्म होता नहीं दिख रहा। खबर ये है कि किसानों को दिल्ली पुलिस के द्वारा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के समानांतर ट्रैक्टर रैली निकालने की इजाजत दे दी गई है। इसी बीच गाजियाबाद, मुरादाबाद, आगरा आदि जगहों से आनेवाले किसानों ने यह शिकायत की है कि कुछ पेट्रोल पंप उन्हें डीजल देने से मना कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भड़क गए और उन्होंने कहा है कि लगता है उत्तर प्रदेश सरकार भी आंदोलन करवाने के मूड में है। उन्होंने कहा, ‘पेट्रोल पंपों को यह आदेश कर दिया गया है कि आप पेट्रोल पंपो को डीजल नहीं दोगे, ये एक गंभीर किस्म का आरोप है किसानों के प्रति। सरकार क्या चाह रही है? डीजल न देने से ट्रैक्टर दिल्ली में नहीं आ सकता? ये गलतफहमी सरकार न पाले। अब लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार भी एक आंदोलन करवाने के मूड में है।’
राकेश टिकैत का कहना है कि वो इस लड़ाई को मजबूती से लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को अब पता चल गया है कि जिसको उन्होंने वोट देकर मजबूत बनाया, उसी ने उन्हें सिंग मार दिया। वो आगे बोले, ‘अब वो वक्त नहीं रहा, जंग छिड़ गई है अब। अब अपने घरों से निकले। यहां से किसान अगर हारकर गया तो ये अपने दिमाग से निकाल दें कि उनके घरों में जो ट्रैक्टर, इंजन, जेनरेटर, पंपिंग सेट रखे हैं 10 साल पुराने, वो चल जाएंगे।’
राकेश टिकैत का कहना है कि जब पत्ती (पराली) जलाने पर कानून आ सकता है तो 10 साल पुराने ट्रैक्टर भी NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों के पास इतने पैसे नहीं कि वो 10 साल पुराने ट्रैक्टर को बेचकर नए खरीद सकें। उन्होंने गन्ना किसानों से भी अपील की कि वे भी सड़कों पर निकलें।