हिंदी सिनेमा में कपूर परिवार का काफी अहम योगदान रहा है। एक्टर पृथ्वीराज कपूर के बाद उनके तीनों बच्चों राज कपूर, शशि कपूर और शम्मी कपूर ने हिंदी सिनेमा में जबरदस्त पहचान बनाई और उसके बाद राज कपूर के बेटों व पोते-पोतियों ने हिंदी सिनेमा में अपना योगदान दिया। खास बात तो यह है कि कपूर परिवार को तीन बार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया। पहले पृथ्वीराज कपूर, फिर राज कपूर और बाद में शशि कपूर को दादा साहेब फाल्के से नवाजा गया। लेकिन राज कपूर को पुरस्कार को देने के लिए राष्ट्रपति ने सभी प्रोटोकॉल तक तोड़ दिये थे।
राज कपूर को साल 1988 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया था। यह समारोह 2 मई को दिल्ली में आयोजित हुआ था। लेकिन इस दौरान एक्टर की तबीयत ठीक नहीं थी। उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी, जिससे उन्हें समारोह में भी ऑक्सीजन मास्क व सिलेंडर के साथ ले जाया गया था। राज कपूर के साथ-साथ इस समारोह में उनकी पत्नी कृष्णा राज भी शामिल हुई थीं।
रीमा जैन ने राज कपूर से जुड़े किस्से को साझा करते हुए बताया था, “कई बार मुझे लगता था कि पापा ने खुद अपनी मौत को बुलावा दिया था। 2 मई, 1988 में पापा को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था। इस समारोह के लिए वह 30 अप्रैल को ही मुंबई रवाना हो गए थे। लेकिन दिल्ली में उस वक्त धूल का तूफान आ रहा था।”
रीमा जैन ने इस बारे में आगे बताया था, “पापा अस्थमा के मरीज थे, ऐसे में जैसे ही प्लेन का दरवाजा खुलासा, उस हवा ने उनके फेफड़ों को भी प्रभावित किया। उन्होंने पूरा समारोह ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही अटेंड किया था। वह बेचैन हो रहे थे, ऐसे में उन्होंने मां का हाथ काफी जोर से पकड़ा हुआ था। वहीं जैसे ही उनका नाम घोषित किया गया, वह उठ नहीं पा रहे थे।”
रीमा जैन ने इस बारे में आगे कहा, “राष्ट्रपति वेंकटरमन ने उनकी बेचैनी देखी और पुरस्कार देने खुद स्टेज से नीचे आ गए। उन्होंने कहा कि राज को मेरी एंबुलेंस में बैठाओ और अस्पताल लेकर जाओ। पापा को वहां वेंटिलेटर पर रखा गया था। उन्हें देखने के लिए मंत्री तक अस्पताल में आ गए थे।” बता दें कि कुछ दिनों के इलाज के बाद राज कपूर ने 2 जून, 1988 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।