बॉलीवुड के मशहूर एक्टर राज कपूर को हिंदी सिनेमा का शो मैन कहा जाता है। अपनी एक्टिंग से तो राज कपूर ने लोगों का दिल जीता ही था, साथ ही अपने निर्देशन से भी उन्होंने फिल्मों में धमाल मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। फिल्मी दुनिया में योगदान को लेकर राज कपूर को साल 1988 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। लेकिन खास बात तो यह है कि इस पुरस्कार को राज कपूर को देने के लिए खुद राष्ट्रपति मंच से नीचे उतरे थे। इतना ही नहीं, एक्टर की खातिर उन्होंने सारे प्रोटोकॉल भी तोड़ दिये थे।
बीबीसी हिंदी के मुताबिक 1988 में ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार को लेने के लिए राज कपूर सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में पहुंचे थे। लेकिन उस दौरान उन्हें दमे का दौरा पड़ा। राज कपूर की हालत ऐसी हो गई थी कि वह अपनी जगह से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे। राज कपूर से जुड़े इस किस्से को पुरस्कार समारोह में मौजूद पत्रकार प्रदीप सरदाना ने बताया था।
प्रदीप सरदाना के अनुसार राज कपूर की स्थिति देख खुद राष्ट्रपति वेंकटरमण सारे प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए मंच से नीचे आ गए ते और उन्होंने राज कपूर के पास आकर उन्हें पुरस्कार दिया व सम्मानित किया। इसके तुरंत बाद ही राज कपूर को बाहर ले जाया गया।
राज कपूर को राष्ट्रपति की ही एंबुलेंस में एम्स ले जाया गया था। हालांकि जब वहां स्ट्रेचर आई थी तो राज कपूर ने उसपर लेटने से मना कर दिया था। अस्पताल ले जाते वक्त एंबुलेंस का ड्राइवर गाड़ी इतनी तेज चला रहा था कि ब्रेक लगने पर राज कपूर पत्रकार के कंधे के पास आकर गिर गए थे।
ऐसे में राज कपूर ने ड्राइवर पर चिल्लाते हुए कहा था, “भाई धीरे चलाओ, मारोगे क्या?” बता दें कि राज कपूर ने 2 जून, 1988 को आखिरी सांसें ली थीं। निधन से पहले इलाज के लिए राज कपूर दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। यूं तो पूरा परिवार उस वक्त राज कपूर के साथ था ही, लेकिन एक्टर से मिलने उनके जिगरी दोस्त दिलीप कुमार भी आनन-फानन में दिल्ली पहुंचे थे।
कहा जाता है कि दिलीप कुमार उस दिन पाकिस्तान से मुंबई लौटे थे और भारत आते ही वह तुरंत दिल्ली अपने दोस्त से मिलने पहुंच गए थे। उन्होंने राज कपूर को देख कहा था, “मैं जानता हूं कि तुम बहुत अच्छे एक्टर हो, लेकिन अब बहुत हो गया।” इस बात का जिक्र खुद ऋषि कपूर ने अपनी किताब में किया था।