अमेजन प्राइम वीडियो की पॉपुलर वेब सीरीज ‘पंचायत’ का सीजन 4 को हाल ही में स्ट्रीम किया गया। इसे दर्शकों और क्रिटिक्स की ओर से मिला जुला रिएक्शन मिला। वेब सीरीज ‘पंचायत’ की चारों किस्त में प्रधान जी बृजभूषण, सचिव जी अभिषेक त्रिपाठी, उप प्रधान प्रहलाद चा, रिंकी, मंजू देवी, भूषण कुमार, बिनोद और अन्य किरदार अहम रहे। इसी में से एक किरदार बिकास का रहा है, जो सचिव जी के असिस्टेंट होते हैं। इस किरदार ने भी स्क्रीन पर अपनी अलग छाप छोड़ी है। इसे प्ले करने वाले एक्टर चंदन रॉय हैं, जो आज ‘पंचायत’ से अपना सिक्का चमका रहे हैं। लेकिन, उनके लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। चलिए बताते हैं उनके पटना से पंचायत तक के सफर के बारे में।
दरअसल, ‘पंचायत’ फेम चंदन रॉय ने हाल ही में एएनआई के पॉडकास्ट में शिरकत की और इस दौरान उन्होंने अपने करियर से लेकर फिल्मों और वेब सीरीज के बारे में खुलकर बातें की। इसी बीच एक्टर ने पटना से पंचायत के स्ट्रगल के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘यहीं बगल में पटना कॉलेज है और मैंने यहीं से BAMC (बैचलर ऑफ मास कम्युनिकेशन) किया है और मेरा हॉस्टल बिल्कुल नदीं के किनारे हुआ करता था और वही खूबसूरत यादें। वहां पास में काली मंदिर और कृष्ण मंदिर था। मैं सुबह-सुबह इतने प्यारे भजन से उठता था। मैं यहीं पर थिएटर भी करता था। प्रेमचंद रंगशाला में हम रिहर्सल करते थे।’
बचपन में ही हो गया था एक्टर बनने का एहसास
अभिनय में करियर बनाने को लेकर चंदन कहते हैं, ‘जब मैं बच्चा था तो मुझे तभी लग गया था कि मुझे करना तो अभिनय ही है। उस समय संयोग से मेरे पास इंटरनेट नहीं था तो मैं न्यूज पेपर्स की कटिंग्स रखता था। पहले आता था नई दिशाएं नई राहें। इसमें करियर के बारे में होता था। उन सभी कटिंग्स को मैं रखता था। वो मेरे लिए गूगल था। फिर मुझे लगा कि मास कॉम कर लेते हैं कम से मुझे अपने करियर में मदद मिल सके। कैमरे के इर्द-गिर्द रह सकूं। तो मैंने मास कॉम कर लिया।’
IIMC से की पत्रकारिता की पढ़ाई
चंदन रॉय कहते हैं, ‘अब आगे एक्टिंग करने के लिए मुंबई जाना था। घरवाले एक्टिंग के लिए पैसे देंगे नहीं। मुझे बैंक में, रेलवे में बाकी चीजों के लिए पैसे दे सकते हैं। लेकन, अभिनय करने के लिए नहीं। मुंबई जाने के लिए नहीं देंगे। अभी भी अभिनय के मुंबई जाना लग्जरी चीज समझी जाती है। ये लोगों के लिए ऐसे है कि करियर दांव पर लगाने जा रहा है कि चल गया तो चल गया अगर हार गया तो बस हार गया। ये एक जुआ की तरह है। मुझे एक जॉब लेना था तो मैं IIMC चला गया। वहां से मैंने रेडियो और टेलीविजन में पढ़ाई की। जॉब मैंने ले लिया था लेकिन मुझे लग रहा था कि थिएटर छूट रहा है। मेरे अंदर था कि पत्रकार नहीं बनना है मुंबई जाना है। फिर मैंने जेएनयू में बहरूप आर्ट ज्वॉइन किया। फिर एक समय आया जब मुझे लगा कि मेरे पास 4-5 महीने के पैसे इकट्ठे हो गए हैं। मुझे मुंबई जाना चाहिए। बिना रिजाइन किए हुए मैं मुंबई आ गया। इस तरह से मेरा स्ट्रगल रहा और चीजें आगे बढ़ीं।’