Padmini Kolhapure Horror Movie: आजकल फिल्ममेकर दर्शकों को ध्यान में रखते हुए फिल्मों का निर्माण करते हैं, जिस जॉनर की मूवी ऑडियंस सबसे ज्यादा पसंद करती है, फिर मानों जैसे उन्हीं जॉनर की फिल्में बनाने का चलन हो जाता है। पिछले कुछ सालों में हॉरर फिल्में काफी देखने को मिली। फिर चाहें वह ‘शैतान’ हो, ‘मुंज्या’ हो या ‘भूतनी’ और ‘तुम्बाड’। हालांकि, इन्हें बनाने का मकसद सिर्फ मनोरंजन होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 45 साल पहले एक ऐसी मूवी भी आई थी, जिसके डायरेक्टर को तांत्रिकों ने उसे न बनाने की चेतावनी दी थी।
जी हां, हम बात कर रहे हैं फिल्म ‘गहराई’ की। पद्मिनी कोल्हापुरे, अमरीश पुरी, अनंत नाग, श्रीराम लागू और इंद्राणी मुखर्जी स्टारर इस फिल्म का निर्देशन विकास देसाई और अरुणा राजे ने किया था। वहीं, प्रसिद्ध नाटककार विजय तेंदुलकर द्वारा सह-लिखित यह फिल्म एक परिवार के काले जादू के अनुभव पर बेस्ड थी। इसके बारे में अरुणा राजे ने बताया कि फिल्म लिखते समय उनकी मुलाकात कई तांत्रिकों से हुई थी, जिन्होंने उन्हें काले जादू में हाथ न डालने की चेतावनी दी थी।
हालांकि, उन्होंने तांत्रिकों की बात नहीं मानी और फिल्म बना डाली। इसके बाद उनकी लाइफ में भी दो चीजें ऐसी हुई, जिसने उनकी लाइफ ही बिगाड़ दी। सिर्फ इतना ही नहीं, कई लोगों ने भी शिकायतें की और बताया कि उनके साथ फिल्म देखने के बाद क्या-क्या दिक्कतें हुईं। अब इससे जुड़े कई किस्से उन्होंने बॉलीवुड क्रिप्ट के साथ एक इंटरव्यू में शेयर किए हैं। अरुणा राजे ने बताया कि विकास और मैं खुद को कहानीकार मानते थे। हम किसी भी ऐसी कहानी के लिए तैयार थे, जो दिलचस्प हो, रोमांचक हो। अगर वह हमें उत्साहित करती है, तो वह दर्शकों को भी उत्साहित कर सकती है।
अरुणा राजे ने बताया निजी अनुभव
अरुणा राजे ने बताया, “जब मैं अपने परिवार के साथ बेंगलुरु में रहती थी, तो मेरी मां हर दिन गार्डन में कुछ न कुछ ढूंढती रहती थीं। हल्दी या कुमकुम लगा हुआ छोटा सा नींबू। लोग काला जादू करते थे, खासकर राजनीति में। पापा एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जो आगे चलकर एक राजनेता बने। इसलिए हमारे बगीचे में ये सब चीजें मिलना कोई नई बात नहीं थी।”
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उन्होंने आगे कहा, “जब मुझे कुछ बनाने का मौका मिला, तो मैंने सोचा कि क्यों न हम काले जादू से जुड़ी कोई चीज़ बनाएं। फिर हमने रिसर्च शुरू की और दिलचस्प बात यह थी कि इस स्क्रिप्ट पर विजय तेंदुलकर हमारे साथ थे। इसलिए, हम तीनों स्क्रिप्ट लिख रहे थे। हमने कई लोगों का इंटरव्यू लिया। हमें बहुत ही दिलचस्प कहानियां मिलीं।”
असल कहानी से प्रेरित था पद्मिनी का किरदार
अरुणा राजे ने आगे बताया, “पद्मिनी कोल्हापुरे द्वारा निभाया गया किरदार रिसर्च के दौरान उन्हें सुनाई गई एक कहानी से प्रेरित था। हमें एक ऐसी महिला मिली जिस पर वास्तव में एक अजीबोगरीब व्यक्ति का साया था। वह व्यक्ति कैथोलिक था और जो साया था वह लखनऊ की एक मुस्लिम लड़की थी। हमें आश्चर्य इस बात का था कि जब वह लड़की साया में थी, तो बहुत अच्छी उर्दू बोलती थी। वह शेर-शायरी करती थी। ऐसी कहानियां सुनना बहुत इंस्पायरिंग था, जो दिखाती थीं कि ऐसी चीजें सच में हैं।”
तांत्रिकों ने दी थी फिल्म न बनाने की चेतावनी
अरुणा राजे ने आगे बताया जब वह कहानी लिख रहे थे, तो उनके संपर्क में बहुत सारे तांत्रिक भी थे। उन्होंने कहा, “एक और जरूरी बात यह है कि हमें इन चीजों में खुद से नहीं पड़ना चाहिए। ज्यादातर इसलिए क्योंकि हमें नतीजा नहीं पता होता। सबने हमें चेतावनी दी थी कि यह फिल्म मत करो, तुम्हारे साथ तरह-तरह की घटनाएं घटेंगी। हम इतने अंधविश्वासी नहीं थे, इसलिए हम हमेशा कहते थे कि अरे, वे तो बस कहानियां दोहरा रहे हैं। हम बस एक फिल्म बना रहे हैं। फिर हमने फिल्म तो बना ली, लेकिन चीजें बिगड़ गईं।”
लोगों ने बताए थे अपने अनुभव
फिल्म रिलीज होने के बाद अरुणा राजे की लाइफ में भी काफी असर पड़ा। उन्होंने अपने पति से तलाक ले लिया। इसके बाद उनकी 9 साल की बेटी की कैंसर से डेथ हो गई। सिर्फ इतना ही नहीं, अरुणा ने बताया कि लोग डरे हुए थे। फिल्म रिलीज होने के बाद हमें सैकड़ों फोन आए। लोग कह रहे थे कि ये समस्या हो रही है, वह समस्या हो रही है। वे मदद मांग रहे थे और तांत्रिकों के नंबर भी, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे। हम उन्हें फोन नंबर नहीं दे सकते थे, क्योंकि तांत्रिकों के मामले में हमें समझ नहीं आ रहा था कि कौन नकली है और कौन असली। बता दें कि यह फिल्म साल 1980 में रिलीज हुई थी। अब यह मूवी यूट्यूब पर मौजूद है।
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