फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर पूरे देश में चर्चाएं हो रही है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने फिल्म को लेकर कहा कि इस फिल्म में झूठ दिखाया गया है, फारुख अब्दुल्ला साहब उस वक्त सीएम नहीं थे। फिल्म में असत्य दिखाना अच्छी बात नहीं है। उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर अब फिल्ममेकर अशोक पंडित ने जवाब दिया है।

उमर अब्दुल्ला को अशोक पंडित का जवाब: अशोक पंडित ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर जवाब देते हुए कहा है कि “हमारे (कश्मीरी पंडितों) नरसंहार की योजना एक सप्ताह या महीनों के समय में नहीं बनाई गई थी, पूरी योजना आपके पिता के मार्गदर्शन में वर्षों से रची गई थी। फिर वह आतंकवादियों के हाथों में राज्य छोड़कर लंदन भाग गए और हमारे नरसंहार का इंतजार करते रहे। मुझे यकीन है कि आपने फिल्म नहीं देखी होगी।”

फिल्म पर क्या बोले उमर अब्दुल्ला: अशोक पंडित ने उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर जवाब दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि “‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म में कई झूठी बातें दिखाई गई हैं। उस दौरान फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के सीएम नहीं थे, लेकिन वहां राज्यपाल शासन था। देश में वीपी सिंह की सरकार थी जिसे भाजपा का समर्थन था।” अब इस पर लोग भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

लोगों की प्रतिक्रियाएं: सुधाकर चौधरी नाम के यूजर ने लिखा कि “चलिए मान लिया कि भाजपा के समर्थन से V.P सिंह की सरकार थी लेकिन नरसंहार करने वाले, किसके समर्थन से नरसंहार कर रहे थे? ये भी बता देना चाहिए उमर अब्दुल्ला को, बाकी इन्हें देश अच्छे से जानता है।” गोपाल पुरी नाम के यूजर ने लिखा कि “कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से पलायन के इतिहास में इस महान त्रासदी के लिए फारूक अब्दुल्ला और उनके जैसे व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं।”

सुनील राय नाम के यूजर ने लिखा कि “जम्मू और कश्मीर के पूर्व डीजीपी ने बयान दिया है कि पाक में ट्रेनिंग ले चुके गिरफ्तार हुए आतंकियों को फारूख अब्दुल्ला ने रिहा किया था, राजीव गांधी के पास इसकी जानकारी थी। क्या  योजना थी?” उमेश नाम के यूजर ने लिखा कि “अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार आतंकवादी हमदर्द हैं।”

उमर अब्दुल्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए हर्षा नाम की यूजर ने लिखा कि “अब्दुल्ला को सीएम के रूप में नहीं दिखाया गया है, यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि उस समय जम्मू-कश्मीर में कोई सरकार नहीं थी, फिल्म को ध्यान से देखें और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसके संवाद फिर से सुनें।”