2025 की हिंदी एक्शन थ्रिलर वेब सीरीज ‘सारे जहां से अच्छा’ को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया गया था। इसे 13 अगस्त, 2025 को रिलीज किया गया था। इसमें लीड रोल में प्रतीक गांधी थे, जिन्होंने भारतीय जासूस विष्णु शंकर की भूमिका प्ले की थी। उनकी एक्टिंग को काफी पसंद किया गया था और सीरीज को भी दर्शकों की ओर भरपूर प्यार मिला था। इसमें एक ऐसे भारतीय जासूस की कहानी को दिखाया गया है, जिसने पाकिस्तान के परमाणु प्रोजेक्ट को फेल करने के लिए एक सीक्रेट मिशन शुरू किया था। इसका निर्माण गौरव शुक्ला ने किया है। इसमें सभी कलाकारों को पसंद किया गया। इसी में से एक एक्टर राघव तिवारी भी हैं, जिन्होंने अहम रोल प्ले किया है। ऐसे में चलिए आपको राघव तिवारी के बारे में बताते हैं।

‘क्राइम पेट्रोल’ जैसे टीवी शोज में काम कर चुके राघव तिवारी कहते हैं कि अगर वो एक्टर ना होते तो आर्मी में होते। उनका कहना है, ‘कॉलेज टाइम के बाद एक दौर आता है, जब मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे कॉम्पीटिशन (सरकारी सेवा) की तैयारी करते हैं, लेकिन मेरा कभी इसे लेकर इंट्रेस्ट नहीं जागा। लेकिन हां, सरकारी सेवा के नाम पर हमेशा आर्मी, फोर्स, जरूर जेहन में रहते थे। दो बार ऐसा समय भी आया, जब मैंने गवर्नमेंट जॉब के लिए फॉर्म भरा। पहला नेवी बैंड में, जहां म्यूजिक बैंड के लिए रिक्रूटमेंट आई थी। दूसरा इंटेलीजेंस ब्यूरो, जिसमें थिएटर के लोगों को प्रिफ्रेंस दी जा रही थी। आईबी की रिक्रूटमेंट एक बार कैंसिल हो गई, और जब मैंने मुंबई अपने एक्टिंग के करियर को आगे बढ़ाने की ठान ली। तब वही आईबी की भर्ती फिर से चालू हो गई, लैटर भी आया। लेकिन मुंबई का विचार तब तक ज्यादा गहरा हो चुका था और मैं अपने एक्टिंग करियर के प्रति पूरी तरह समर्पित हो चुका था।’

वह कहते हैं, ‘नेवी में हेल्थ इश्यूज (सीवियर साइनस) की वजह से जाना संभव नहीं हो पाया। लेकिन, खुफिया एजेंसियों में कैसे काम होता है, इसे कुछ हद तक सीरिज ‘सारे जहां से अच्छा’ के जरिए समझ पाया हूं। ये कहा जा सकता है कि इस फिल्म के जरिए मैं ‘उस’ सपने का छोटा अंश जी पाया हूं।’

आर्ट से जुड़ाव परिवार के जरिए मिला

राघव तिवारी अपनी एक्टिंग स्किल को लेकर कहते हैं, ‘मेरी पिता क्लासिकल वॉकलिस्ट थे, संगीत से तो उन्होंने हमारी बचपन से ही पहचान करवा दी थी। मैंने इस दौरान सितार वादन भी सीखा। इसी दौरान डॉ. चंद्र प्रकाश द्विवेदी जी के टीवी सीरियल उपनिषद गंगा में छोटे से किरदार को निभाने के बाद, अभिनय सीखने की ललक बढ़ती गई, स्कूल कॉलेज में नाटक किए , लेकिन अब जरूरत महसूस हो रही थी, अभिनय को विधिवत और डीप तरीके से जानने की। इसी बीच पढ़ाई लिखाई पर भी ध्यान देते रहे, और ग्रेजुएशन कंप्लीट होते ही एक रोज पापा सुबह अखबार में छपे आर्टिकल को देखने और मेरे इंटरेस्ट को जानने बाद, वो मुझे जयपुर के आर्ट सेंटर (रवींद्र मंच) भारत रत्न भार्गव सर की थिएटर वर्कशॉप में ले गए। उन्होंने कहा कि अब कहीं और भटकने की ज़रूरत नहीं, अब इसी कला को सीखो और मेहनत करो। मेरे पिताजी के कला प्रेम और शायद उनकी परख ने ये जान लिया था कि अभिनय ही मेरे लिए सही रास्ता होगा। कला के साथ आगे बढ़ने में, और वहीं से मेरे अभिनय के सफर की शुरुआत हुई, जो अब तक जारी है।’

पेट्रियोटिज्म को जगाने का काम करती है कला

राघव तिवारी ने देशभक्ति सीरीज में काम किया है। ऐसे में उन्होंने देशभक्ति के मुद्दे पर कहा, ‘देशभक्ति हमारे भीतर देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास करवाती है। अब बतौर फौजी या देश के सिपाही, मैं देश की सेवा नहीं कर पा रहा , लेकिन हां जो माध्यम मुझे मिला उसके साथ भी मैं देश की सेवा कर सकता हूं और इसे आगे तक जारी भी रखूंगा। अभिनय और संगीत लोगों के भीतर देशभक्ति को जगाने का काम हमेशा करते रहे हैं। एक लाइन शायद आप सबने सुनी होगी, फिल्में और थिएटर समाज का आईना होते हैं तो बस उसी आईने के माध्यम से समाज में अपने देश, लोगों और अपने समाज को अच्छा बनाने की कोशिश लगातार जारी रहेगी, अब चाहे ये अभिनय से हो या लेखन और निर्देशन से हो।’

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