नसीरुद्दीन शाह अपने बेबाक बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। अब नसीरुद्दीन शाह ने एक कार्यक्रम में फिल्म इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई के बारे में बात की है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में पर्दे के पीछे काम करने वाले को पहचान नहीं मिलती।
बुधवार शाम मुंबई के रीगल सिनेमा में फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शाह चीफ गेस्ट बनकर पहुंचे थे। जहां फिल्म निर्माता कमाल अमरोही की 1949 की फिल्म “महल” के इवेंट में कही। जहां इस फिल्म का दोबारा प्रसारण किया गया था। इस दौरान एक्टर ने कहा,”यह निराशाजनक है कि जो लोग किसी फिल्म की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए पहचाना ही नहीं जाता है।”
इस इवेंट में एफएचएफ ने रायपुर के प्रोजेक्शनिस्ट लखन लाल यादव, पुणे के नेशनल फिल्म आर्काइव्स ऑफ इंडिया (एनएफएआई) के पी ए सलाम और रीगल सिनेमा, मुंबई के मोहम्मद असलम फकीह को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और प्रत्येक को 50,000 रुपये से सम्मानित किया।
इस दौरान उन्होंने फिल्म प्रोजेक्शनिस्टों के काम को पहचानने को लेकर बात की। एक्टर ने कहा, “उन्होंने अपना पूरा जीवन हम सभी के लिए एक अंधेरे कमरे में बिताया है, हमारा मनोरंजन करने के लिए, हमें उनकी सराहना करनी चाहिए। मैं इन लोगों को पहचानने के लिए शिवेंद्र डूंगरपुर (एफएचएफ संस्थापक) और उनकी टीम का आभारी हूं। मैं यहां एक दर्शक के रूप में हूं, मैं उनसे मिलने और बातचीत करने के लिए आभारी हूं।”
नसीर ने कहा कि मूवी इंडस्ट्री तकनीशियनों और अन्य जरूरी लोगों की कड़ी मेहनत और योगदान को अनेदखा करती है। “फिल्म उद्योग का कड़वा सच यह है कि जो लोग फिल्म निर्माण के दौरान बहुत मेहनत करते हैं, जैसे लाइट मैन और बाकी लोग। उनकी इनकम ज्यादा नहीं होती है। ये गलत है, मुद्दा यह है कि फिल्म की रिलीज के बाद भी यह बात जस की तस बनी रहती है।”
उदाहरण के लिए, यदि कोई फिल्म सफल होती है, तो वितरक और प्रदर्शक लाभ का बड़ा हिस्सा लेते हैं। जो लोग इसे (सफलता) हासिल करने में मदद करते हैं, उनकी किसी को परवाह नहीं होती। उन्हें पुरस्कार भी नहीं दिया जाता।”