मनीषा कोइराला ने साल 1991 में रिलीज हुई फिल्म ‘सौदागर’ से बॉलीवुड में एंट्री की थी। ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी और इसके बाद उन्हें कई फिल्मों के ऑफर मिलने लगे थे। लेकिन उनके लिए फिल्मों में एंट्री करना इतना आसान नहीं था। क्योंकि मनीष के दादा विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला नेपाल के प्रधानमंत्री थे और उनका परिवार नहीं चाहता था कि वह फिल्मों में काम करें। यही वजह थी उन्हें एक्ट्रेस बनने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

मनीषा ने इससे जुड़ा किस्सा ‘The Kapil Sharma Show’ में सुनाया था। उन्होंने बताया था, ‘मेरी परवरिश बहुत साधारण रही थी। मैंने सबसे पहली बार अपनी दादी से कहा था कि मुझे फिल्मों में काम करना है। उन्होंने कहा कि ठीक है कर लो। शायद उनकी भी बचपन में ख्वाहिश थी कि वो भी फिल्मों में काम करें। उनको मैंने एक बार मना लिया तो सभी लोग चुप हो गए। मैंने अपनी मां को इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। मैंने कहा कि मुझे बर्थडे का तोहफा चाहिए और मुझे मुंबई लेकर चलिए।’

मनीषा कोइराला ने आगे कहा, ‘मेरी मम्मी की एक दोस्त थी मुंबई में और उनसे मैंने पहले ही बात कर ली थी कि मुझे अच्छे डायरेक्टर्स से मुलाकात करवाइए। मैं और मम्मी उस समय दिल्ली से मुंबई आए थे। यहां हमने कई फिल्ममेकर्स से मुलाकात की। शुरुआत में उन लोगों को विश्वास नहीं था, लेकिन पहली फिल्म मिली और जब मेरा काम देखा गया तो अब तो आपके सामने है कि कैसे इतिहास बन गया।’

मनीषा ने बताया था, ‘मेरे घर में भले ही दादा जी प्रधानमंत्री थे, लेकिन वह घर में सबको हमेशा जमीन से जुड़ा हुआ ही रखना चाहते थे।’ मनीषा के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उनका करियर थम गया। करियर में डाउनफॉल के बीच उनकी मुलाकात नेपाल के बिजनेसमैन सम्राट दहल से हुई। कुछ ही मुलाकातों के बाद दोनों में प्यार हो गया और 2010 में शादी कर ली।

मनीषा की शादी ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाई और उनके पति से आए दिन झगड़ा होने लगे। 2 साल के बाद 2012 में दोनों का रिश्ता टूट गया और मनीषा ने तलाक ले लिया। करियर और लाइफ में आए ऐसे मोड़ ने मनीषा को तोड़ दिया। गम को भुलाने के लिए एक बार फिर उन्होंने शराब और ड्रग्स का सहारा लेना शुरू कर दिया।