दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 20 अप्रैल को एनडीएमसी द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया गया। एक मस्जिद के पास कई पक्के और अस्थाई ढांचों को बुलडोजर से तोड़ा गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अभियान को रोक दिया गया। इस मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है।

इसी मशहूर लेखक और गीतकार मनोज मुंतशिर ने भी ट्विटर पर एक शायरी के जरिए तंज कसा है। उन्होंने लिखा, ”कहीं पेट्रोल वाला बम, कहीं पत्थर निकलता है। कहीं तो आस्तीनों में दबा खंजर निकलता है। फसादी चूहों कोई बिल तलाशो और दुबक जाओ। कि पट्टी बांधकर आंखों पे बुलडोजर निकलता है!”

उनके इस ट्वीट पर तमाम लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘अच्छा ये तो उससे पूछो जिसका घर गिरा है। तब भी इतना साहस है तो एक बार अपना भी गिरवा लो पता लग जाएगा। उत्तर प्रदेश में ये बुलडोजर का ही खौफ है कि कोई पत्थर नहीं फेंक पाया। यहां हौसले पस्त हो गए।”

अंजू सिंह ने लिखा,” वाह भईया! आज का समय बुलडोजर पर ही कविता मांग रहा था। फिर एक आग लगा देगी आपकी कविता, लगने दीजिए। युगों की परिस्थितियां देखकर ही कविताएं भी लिखी जाती होंगी और ये कविता इस युग की मांग है। धन्यवाद।”

शक्ति सिंह परिहार ने लिखा,”मनोज भाई इनकी मानसिकता देखो। पत्थर धर्म निरपेक्ष है और बुलडोजर सांप्रदायिक। वाह रे दोहरा चरित्र! सेना पुलिस पर पत्थर बरसाएं और जब सेना कार्रवाई करे तो विक्टिम कार्ड खेलो। लेकिन अब सब समझ चुके हैं ये दोगलापन।” निखिल झा ने लिखा,” वाह…वाह, जो खौफ नहीं था दंगाइयों में सदियों और जमाने से, वो खौफ न जाने क्यों आ गया है बुलडोजर के आने से। बोलिये बुलडोजर बाबा की जय।”

आदित्य पांडे ने लिखा,”मनोज भईया कवि बन के रहिये न उसी में आप अच्छे लगते हैं। अपनी धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करिये, लोगों को सही सुगम रास्ते का चयन का सुझाव दीजिए। नफरत मत सिखाइये।” राधिका सिंह ने लिखा,”भले ही उनके हाथों में पत्थर और पेट्रोल बम हैं लेकिन उनको थमाने वाले हाथ किसी नेता के ही हैं।” बता दें कि ये अभियान हनुमान जयंती पर निकले जुलूस में हुई हिंसा के बाद शुरू किया गया था।