भारतीय सिनेमा के सफर में मील का पत्थर साबित हुई फिल्म ‘पंथेर पांचाली’ (Pather Panchali) ने रिकॉर्ड बना दिया है। ये मूवी एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है। टाइम मैगजीन की ओर से 100 साल की बेस्ट फिल्मों की लिस्ट जारी की गई है। इस लिस्ट में इंडियन फिल्म ‘पंथेर पांचाली’ ने जगह बनाई है। इसका निर्माण सत्यजीत रे ने किया है। इसे 26 अगस्त, 1955 में रिलीज किया गया था। लेकिन क्या आपको पता है इस फिल्म को बनाने के लिए मेकर के पास ना ही पैसे थे और ना ही दगदार स्टारकास्ट।

दरअसल, 100 सालों की बेस्ट फिल्मों की लिस्ट में 1920 से 2010 के दशक को कवर किया गया है। सर्वश्रेष्ठ फिल्मों की शुरुआत ‘द कैबिनेट ऑफ डॉ कैलीगरी (1920)’ से होती है और वन्स अपॉन ए टाइम इन हॉलीवुड (2019) पर जाकर खत्म हो जाती है। इनके बीच भारतीय फिल्म ‘पथेर पांचाली (1955)’ ने अपनी जगह बनाई, जिसका निर्देशन सत्यजीत रे ने किया था।

1929 के बंगाली उपन्यास पर आधारित है फिल्म

‘पथेर पांचाली’ बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के बंगाली उपन्यास पर आधारित है, जिसे 1929 में लिखा गया था। फिल्म का निर्देशन सत्यजीत रे ने किया था। ये उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। इसमें सुबीर बनर्जी, कानू बनर्जी, करुणा बनर्जी, उमा दासगुप्त और चुनिबाला देवी अहम भूमिका निभाई थी। इसमें बंगाल के निश्चिन्दिपुर गांव में रहने वाले अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा की कहानी को दिखाया गया है, जो कि गरीबी की वास्तविकता से दूर अपने बचपन की अल्हड़ शैतानियों जीवन बीताते हैं।

फिल्म को बनाने के लिए गिरवी रखे थे पत्नी के गहने

सत्यजीत रे शुरुआती दौर में ब्रिटिश विज्ञापन एजेंसी में बतौर जूनियर विजुअलाइजर काम करते थे। इसी दौरान उन्हें विभूति भूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास ‘पथेर पंचाली’ को चित्रित करने का मौका मिला। उस समय उन्होंने इसे कुछ खास नहीं पड़ा था। लेकिन, इसने उनके दिल पर गहरी छाप छोड़ी थी और उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की ठान ली थी। इसे बनाने का उन्होंने फैसला तो कर लिया था मगर उनके पास ना तो पैसे थे, ना ही दमदार स्टारकास्ट और ना ही कोई निर्माता मिला। निर्माता की तलाश में दो साल का वक्त गुजर गया था। थक हारकर सत्यजीत को साल 1953 में प्रोड्यूसर राणा दत्ता मिलते हैं। उनसे उन्हें थोड़ी मदद मिली। वो विज्ञापन कंपनी में काम कर रहे थे। इसलिए बिना सैलेरी के एक महीने की छुट्टी ली। फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी। बीच में पैसों की कमी आई तो पत्नी के गहने गिरवी रख दिए। इससे कुछ दिनों तक काम चला। बाद में पैसों के लिए किसी की सलाह पर पश्चिम बंगाल सरकार से संपर्क किया और फिर पैसों की व्यवस्था हुई।

जवाहर लाल नेहरू भी हो गए थे खुश

आखिर में ‘पथेर पांचाली’ की रिलीज डेट आ ही गई। इसे 26 अगस्त, 1955 को कोलकाता में रिलीज किया गया। दो हफ्ते तक फिल्म का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। तीसरे हफ्ते सिनेमाघरों में खचाखच भीड़ आ गई। इसे अपार सफलता मिली। यहां तक की तात्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी इसे देखा और वो भी इससे काफी प्रभावित हुए। इसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाया गया। जहां, इसवे बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट का अवॉर्ड भी जीता। इसने देश-विदेश में कइयों अवॉर्ड जीते।