बॉलीवुड के प्लेबैक सिंगर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आज दूसरी पुण्यतिथि है। उन्हें स्वर कोकिला भी कहा जाता है। उन्होंने अपने करियर में 50 हजार से अधिक गाने गाए थे। वो इंडस्ट्री की एकमात्र गायिका थीं, जो 30 भाषाओं में गाने गा चुकी हैं। उनके गानों की गूंज भारत से लेकर विदेशों तक में थी। वो सफल सिंगर के तौर पर जानी जाती रही हैं। लेकिन, उनके लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। उन्होंने 13 साल की उम्र में ही करियर की शरुआत कर दी थी। ऐसे में लता की दूसरी पुण्यतिथि के मौके पर आपको उनकी लाइफ और स्ट्रगल के बारे में बता रहे हैं। एक समय ऐसा था जब उनके घर पर खाने के पैसे तक नहीं थे और परिवार को भूखा सोना पड़ता था। ऐसे में चलिए बताते हैं इस किस्से के बारे में…
दरअसल, लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया था। इसकी वजह से उनके घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई थी, क्योंकि वो अपने घर की बड़ी थीं। एक दिन ऐसा भी आया जब पूरे परिवार को भूखा सोना पड़ा था। इस बात का खुलासा खुद लता मंगेशकर ने साल 2015 में एक इंटरव्यू में कही थी। इसके बाद परिवार के लिए उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा था।
पैसों की तंगी के बीच लता मंगेशकर को मास्टर विनायक ने उन्हें अपनी मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला गौर’ के लिए अप्रोच किया था। इस दौरान लता मंगेशकर को पैसों की जरूरत थी और उन्होंने भी हां कर दिया था। फिल्म में उनका छोटा सा रोल भी किया था। उन्होंने फिल्म के गाने ‘नटली चैत्राची नवलाई’ में अपनी बेहतरीन आवाज दी थी। इस गाने के लिए उन्हें 25 रुपए बतौर फीस मिली थी। वहीं, फिल्म के रोल के लिए उन्हें 300 रुपए मिले थे। इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक मास्टर विनायक की कंपनी में काम भी किया था।
यूं चमकी थी लता मंगेशकर की किस्मत
लता मंगेशकर की किस्मत ने तब करवट ली, जब नूरजहां पाकिस्तान चली गईं। माना जाता है कि जब लता मंगेशकर अपना करियर शुरू कर ली थीं तो उस समय नूरजहां फेमस स्टार थीं और उनके आगे किसी का सिक्का नहीं जम पाता था। लता मंगेशकर उन्हें अपनी प्रेरणा मानती थीं। लेकिन, जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो नूरजहां पाकिस्तान चली गईं। इसके बाद स्वर कोकिला की किस्मत बदल गई। शुरुआत में सिंगर को उनकी आवाज को पतली कहकर रिजेक्ट कर दिया जाता था।