लखीमपुर खीरी हिंसा में किसानों को गाड़ी से कुचलने के मामले को विपक्षी पार्टियां योगी आदित्यनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहीं हैं। इसी दबाव के बीच किसान हत्याकांड के मुख्य आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा शनिवार को गिरफ्तार कर लिए गए। इस मसले पर टीवी डिबेट में भी खूब बहस देखने को मिली है। कुछ लोग किसानों की राजनीतिक समझ पर सवाल उठाते नज़र आए हैं जिसे लेकर कवि कुमार विश्वास ने तंज़ किया है।

अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट में कुमार विश्वास ने कहा है कि जो लोग शहरों में रहते हैं और किसानों को जानते तक नहीं वो किसानों की राजनीतिक समझ को लेकर चैनलों पर ज्ञान दे रहे हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘नोएडा-गुड़गांव के अपार्टमेंट में 20वें फ़्लोर पर रहने वाले वे ज्ञानी रिसर्चिए जिनके मोबाइल में गांवों में किसानी करने वाले 10 लोगों के नंबर तक नहीं हैं और जिन्होंने किसान-खेत-गांव केवल मुम्बईया फ़िल्मों में देखे हैं, चैनल-चैनल किसानों की राजनैतिक अल्पज्ञता पर तप्सरा कर रहे हैं।’

उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। अनुज यादव नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘कृषि प्रधान देश में खेती किसानी का महत्व ही जिन्हें नहीं पता वो किसानों का क्या सम्मान करेंगे? कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाती है। मित्रों के फायदे के लिए जिसे मोदी सरकार तोड़ना चाहती है और तथाकथित गोदी मीडिया गुलामी और चाटुकारिता से बाहर ही नहीं निकल पा रही है।’

राजेश कुमार नाम के एक यूजर ने तंज़ किया, ‘जब एक चाय बेचने वाला एआईआईएमएस और आईआईटी में जाकर इंजीनियरिंग और मेडीकल पर लेक्चर दे सकता है l जब नीति आयोग बिना किसी खेत में गए कृषि के लिए योजनाएं बना सकता है तो फिर किसी अपार्टमेंट में रहने वाला देश के किसानों की बात क्यों नहीं कर सकता। उसकी थाली का भोजन तो किसान ही उपजाता है।’

सुभाष चौधरी नाम के एक यूजर ने कुमार विश्वास को जवाब दिया, ‘अरे कवि महोदय, तभी इन्हें देश का किसान देशद्रोही नजर आता है। भले ही किसान भूख, बेकारी और कर्ज से दब कर परिवार समेत आत्महत्या क्यों न कर ले। अगर सिर्फ एक साल किसानों ने खेती रोक दी न हेकड़ी धरी की धरी रह जाएगी। जय हिंद जय भारत। जय जवान जय किसान।’

वहीं आयुष मिश्रा नाम के एक यूजर ने कुमार विश्वास से असहमति जताते हुए उन्हें जवाब दिया, ‘यह 20वें फ़्लोर पर रहने वाले भी छोटे शहर या गांव से आकर दिन रात मेहनत करके कमाने और इनकम टैक्स देने वाले लोग हैं। और इनका भी पूरा हक़ है अपनी बात रखने का महोदय।’