लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में 8 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि SIT की जांच की निगरानी के लिए यूपी सरकार द्वारा बनाए गए न्यायिक आयोग पर उसे भरोसा नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि जांच दल किसी खास को बचाने का भी प्रयास कर रहे हैं। अब इस मामले में फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट भी आ गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर-खीरी में हुए उपद्रव के दौरान फायरिंग केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र के असलहे से हुई थी।
फॉरेंसिक रिपोर्ट सामने आते ही सियासत एक बार फिर गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आई.पी सिंह ने ट्विटर पर लिखा, ‘अब जब बैलेस्टिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लखीमपुर नरसंहार की कहानी स्पष्ट हो गई है। टेनी का मंत्री बने रहना साफ कर देता है कि भाजपा किसानों को कुछ नहीं समझती। लखीमपुर कांड भूला नहीं जा सकेगा, देश नहीं भूलेगा और देश का किसान नहीं भूलेगा। अब सरकार का अहंकार कुचला जाएगा।’
पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘टेनी की विदाई क्या सरकार के साथ ही होगी?’ वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने लिखा, ‘हाथरस के बाद अब लखीमपुर का घिनौना सच भी सामने है। पत्रकार को जीप से कुचला गया, मंत्री पुत्र की बंदूक से गोलियां चलीं और 8 किसानों की जानें भी गईं। कैसे नींद आती होगी उन पत्रकारों को जो हत्यारों का पक्ष रख रहे थे? कुचले गए लोगों की गलती खोज रहे थे?’
यूजर्स की प्रतिक्रिया: एक यूजर ने लिखा, ‘आप चिंता मत कीजिए। टेनी से ही बीजेपी डूबेगी। अगर योगी-मोदी ने समय रहते एक्शन नहीं लिया तो इसका चुनाव परिणाम पर असर दिखाई देगा।’ यूजर अंशुल यादव लिखते हैं, ‘टेनी को खुला संरक्षण दर्शाता है जो हुआ सरकार के आदेश पर हुआ। अंग्रेजों के दलाल अंग्रेजों की तरह अत्याचार पर उतारू हैं।’ अभिजीत नाम के यूजर लिखते हैं, ‘ऐसा लगता है कि जैसे योगी, टेनी और मोदी जी एक ही बस पकड़कर वापस अपने घर की तरफ रवाना होंगे।’
यूजर विनय कुमार यादव लिखते हैं, ‘टेनी जी भी बीजेपी को समझते हैं। वह खुद ही बीजेपी को यूपी से विदा करके चले जाएंगे। आप लोग ऐसे मत कहिए।’ शादाब नाम के यूजर लिखते हैं, ‘शायद कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि धर्म का डर दिखाकर तो कुछ भी जीता जा सकता है।’ यूजर कुमार अजय लिखते हैं, ‘ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर ही रोक लगा देनी चाहिए। क्योंकि मंत्रिमंडल से हटाने का मतलब तो ये है कि उसकी दोबारा वापसी होगी।’
बता दें, 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसान, एक पत्रकार समेत कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में किसानों की तरफ केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। अब फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि उपद्रव के दौरान आशीष मिश्र मोनू की रिवॉल्वर और उसके दोस्त अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल से फायरिंग की गई थी। इस समय दोनों ही आरोपी लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं।