COVID-19: कोरोना संकट के बीच पीपीई किट खरीद घोटाले में कथित तौर पर नाम आने के बाद हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राजीव बिंदल (Rajeev Bindal) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेज दिया है। बिंदल के इस्तीफे पर सियासत घमासान भी शुरू हो गया है। खासकर विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। इस बीच चर्चित कवि डॉ. कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उनका एक इंस्टाग्राम पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है।

क्या लिखा है कुमार विश्वास ने? : कुमार विश्वास ने अपनी पोस्ट में बिंदल के इस्तीफे से जुड़ी खबर शेयर करते हुए इस पूरे मामले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने लिखा है, ‘जब भी मैं सरकार की किसी नीति का समर्थन करता हूं, प्रधानमंत्री या किसी दक्षिणपंथी विचार की सकारण प्रशंसा कर देता हूं, पीएम केयर कोष में सहायता राशि दे देता हूं या भारतीयता के किसी भी प्रश्न पर केंद्र के साथ आ खड़ा होता हूं तो अक्सर इस सरकार या प्रधानमंत्री से नाराज़ व असहमत लोग नीचे आकर गाली-गलौज-आलोचना में जुट जाते हैं कि ‘तुम बिक गए हो, तुम डरते हो, तुम्हें बीजेपी में जाना है, तुम संघी हो’ आदि-आदि।

 

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“पूरा पढ़िए और सहमत हों तो औरों को पढ़वाइए” हमारे विषपायी कवि दुष्यंत कुमार ने श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय में कहा था… “अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार, घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार ! मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं, बोलना भी है मना सच बोलना तो दरकिनार ! इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके—जुर्म हैं, आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है या फ़रार…!” जब भी मैं सरकार की किसी नीति का समर्थन करता हूँ, प्रधानमंत्री या किसी दक्षिणपंथी विचार की सकारण प्रशंसा कर देता हूँ, पीएम केयर कोष में सहायता राशि दे देता हूँ या भारतीयता के किसी भी प्रश्न पर केंद्र के साथ आ खड़ा होता हूँ तो अक्सर इस सरकार या प्रधानमंत्री से नाराज़ व असहमत लोग नीचे आकर गाली-गलौज-आलोचना में जुट जाते हैं कि “तुम बिक गए हो, तुम डरते हो, तुम्हें बीजेपी में जाना है, तुम संघी हो !” आदि-आदि ! ऐसे ही कभी देश की बात आने पर सरकार की या प्रधानमंत्री की आलोचना कर दो, कश्मीर में बुआ के भय से आतंकियों को बचाने की योजना पर तल्ख़ी प्रकट करो या जैसे मज़दूरों की व्यथा पर ग़ुस्से में नज़्म कह दो तो फिर भक्तगण आकर गरियाना प्रारंभ करते हैं कि “तुम चिड़ते हो, कांग्रेस में जाने का रास्ता बना रहे हो, कोई पूछ नहीं रहा तो छटपटा रहे हो, अभी देशद्रोहियों आपियों के साथ का असर गया नहीं !” आदि-आदि ! मैं शालीनता और सार्वजनिक गोपनीयता से बंधे होने के कारण दोनों ही पक्षों को यह तक नहीं बताता कि मैं कहाँ जाना चाहता हूँ या तुम्हारे शीर्षस्थ नेता मुझे क्या-क्या देकर बुलाना चाहते हैं, इन दोनों बातों का अंतर अपनी-अपनी पार्टियों का चश्मा लगाकर तुम लोग नहीं देख सकोगे ! ख़ैर अब ज़रा सच्चे ओर केवल भारतीय होकर यह सोचिए कि हर मौक़े पर “भारतमाता की जय” का नारा लगा-लगाकर अपने देशभक्त होने का सर्टिफिकेट तो इन दोनों सज्जनों ने भी खूब बटोरा होगा ? पर आज जब देश हर ओर से बेहद मुश्किल चुनौतियों से घिरा है ऐसे समय में उन चुनौतियों से लड रहे डाक्टरों के हथियारों में भी दलाली ? और अभी भी अंधभक्ति ? यानि आप देश के नहीं नेता/पार्टी के पहले हो ?