बॉलीवुड के जाने माने फिल्ममेकर करण जौहर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं और उन्होंने कई स्टार किड्स को अपनी फिल्मों में लॉन्च किया है। जिनमें आलिया भट्ट, वरुण धवन का नाम भी शामिल है। इसके लिए उन पर अक्सर नेपोटिज्म का आरोप लगाया जाता है। अब हाल ही में उन्होंने इंडस्ट्री और अपने बारे में खुलकर बात की है।
करण जौहर ने कहा है कि वो खुद को भाग्यशाली मानते हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि इस इंडस्ट्री में कई लोग ऐसे हैं जो भ्रम में जी रहे हैं और अगर भ्रम के लिए कोई वैक्सीन होती तो करण जरूर देते। उनका कहना है कि भ्रम का कोई इलाज नहीं है। करण ने कहा कि उन्हें इस बात पर भरोसा नहीं था कि वो सफल हो पाएंगे, मगर अपने काम को देखने के बाद उन्हें लगा कि उन्हें काम आता है।
करण जौहर ने कहा, “हमें डिप्लोमैटिक होना पड़ता है, मैं भ्रमित नहीं हूं। मैं अपनी फिल्मों को लेकर जागरूक हूं और समझता हूं कि क्यों कुछ ने अच्छा प्रदर्शन किया और कुछ नहीं चलीं। मैं 80% रियलिस्ट हूं, 20% एंबिशियस हूं, कभी-कभी मैं इन लोगों को नहीं समझ पाता। मुझे नहीं समझ आता कि ये लोग खुद से झूठ बोल रहे हैं या फिर इन्हें लगता है कि इन्होंने बेहतरीन फिल्में बनाई हैं। असलियत में ऐसा नहीं है।”
करण जौहर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता यश जौहर को दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में शाहरुख खान और आदित्य चोपड़ा का भी हाथ है, क्योंकि इन दोनों ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया। करण ने कहा कि मुझे हमेशा से लगता था कि मुझे जो कुछ भी मिला था वो मेरी किस्मत थी। मगर फिर शाहरुख खान स्टारर फिल्म ‘माय नेम इज खान’ के बाद उन्हें लगा कि वो सफलता के काबिल हैं।
बता दें कि करण जौहर ने बतौर डायरेक्टर साल 1998 में फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ से डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था और इसके बाद उन्होंने ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘कभी अलविदा ना कहना’, ‘माय नेम इज खान’, ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’, ‘ऐ दिल है मुश्किल’ समेत कई फिल्मों का निर्देशन किया है। उनकी पिछली फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ थी, जिसमें रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, शबाना आजमी, धर्मेंदर और जया बच्चन थे। ये एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म थी और उनकी अगली फिल्म ‘धड़क 2’ होने वाली है।