दिल्ली दंगों पर स्थानीय कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई है और पुलिस के एक्शन को अदालत की आंख पर पट्टी बांधने का प्रयास भी बताया। आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम सहित तीन लोगों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि विभाजन के बाद इतिहास राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगों को देखेगा, तब सही जांच में पुलिस की विफलता लोकतंत्र के प्रहरी को पीड़ा देगी। इससे इतर बॉलीवुड एक्टर कमाल राशिद खान भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर भड़के नजर आए। उन्होंने इसकी तुलना अंग्रेजी सरकार के रवैये से भी की।

कमाल राशिद खान ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, “अगर पुलिस जानबूझकर बेगुनाहों को गुनहगार बनाएगी, झूठे मुकदमों में फंसाएगी, कानून को हिंदू मुस्लिम बनाकर इस्तेमाल करेगी तो इस वक्त को अंग्रेजों की सरकार के वक्त से बुरा कहने में कोई बुराई नहीं है। क्योंकि अंग्रेज तो विदेशी थे, ये तो सबका साथ सबका विकास नहीं है।”

कमाल राशिद खान ने अपने ट्वीट में कोर्ट के बयान का हवाला देते हुए लिखा, “आज अदालत ने दिल्ली दंगों के तीन अभियुक्तों को बरी करते हुए कहा कि जब इतिहास दिल्ली के दंगों को याद करेगा तो ये भी याद करेगा कि दिल्ली पुलिस की जांच कितनी खराब थी। जज साहब ने कहा कि पुलिस अदालत की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश कर रही है। बेगुनाहों को गुनहगार बनाने के लिए।”

कमाल राशिद खान के इस ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया यूजर भी कमेंट कर रहे हैं। इकबाल नाम के यूजर ने केआरके के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा, “अंग्रेजों के समय में कम से कम मिलकर तो रहते थे।” नीरज कुमार नाम के यूजर ने लिखा, “ये बात सच है। कोई दूसरा अपने साथ गलत करे तो समझ आता है, लेकिन अपने ही लोग अपने साथ गलत करें तो।”

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली दंगे पर पुलिस की जांच को ‘कठोर’ व ‘निष्क्रिय’ बताया। कोर्ट का कहना है कि घटना का कोई भी सीसीटीवी फुटेज नहीं था, जिससे आरोपी की मौजूदगी का पता चल सके। न ही आपराधिक साजिश से जुड़ा कोई सबूत था। अदालत ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी वास्तविक प्रयास के बिना चार्जशीट दाखिल करने भर से ही मामला सुलझ गया है।”