भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें लोगों से लॉकडाउन का पालन करने और जरूरी एहतियात बरतने की अपील कर रही हैं, तो दूसरी तरफ इस मुद्दे पर सियासत का दौर भी जारी है। सोशल मीडिया पर भी जुबानी जंग देखने को मिल रही है। ताजा मामला गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) से जुड़ा है।

ट्विटर पर वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त (Barkha Dutt) की तारीफ करने के बाद वे ट्रोल्स के निशाने पर आ गए। दरअसल, बरखा दत्त ने अपनी और अपने सहयोगियों की एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा कि उन्हें कोरोना संकट कवर करते हुए 50 दिन हो गए हैं। इस बीच उन्होंने 6 राज्यों में 6000 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की है। बरखा दत्त के इस ट्वीट पर उनकी हौसलाफजाई करते हुए गीतकार जावेद अख्तर ने लिखा, ‘प्रिय बरखा, आप इस देश की संवेदनशीलता का प्रतीक हैं। हमें आप पर बहुत गर्व है. देश को आप जैसे और बहादुर पत्रकारों की जरूरत है…’।

इस ट्वीट के बाद जावेद अख्तर ट्रोल्स के निशाने पर आ गए और लोग उनकी खिंचाई करने लगे। राजन नाम के एक यूजर ने जावेद अख्तर पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘हां, आपकी नजर में वही राष्ट्र का सिंबल हो सकता है, जो देश के खिलाफ बोले, जिहाद को बढ़ावा दे, आतंकियों का समर्थन करे, ऐसे सिंबल से हमें घृणा होती है…’। एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘यहां तक कि हाफिज सईद को भी लगता है कि बरखा बेस्ट जर्नलिस्ट हैं…’।

एक यूजर ने जावेद अख्तर (Javed Akhtar) को घेरते हुए लिखा, ‘वह (बरखा दत्त) ऐसे पॉलिटिकल लॉबिस्ट और ब्रोकर्स की प्रतीक भी हैं, जो पत्रकारिता के नाम पर अपनी दुकाने चलाते हैं और उनकी दुकान 2014 में बंद हो चुकी है…’। संदीप गोयनका नाम के एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, ‘दोनों एकॉ-दूसरे की पीठ खुजाते रहो, बरखा और जावेद। अब तुम्हें कोई घास नहीं डालता…’।

एक यूजर ने लिखा, ‘जावेद अख्तर और बरखा, दोनों फेक न्यूज के मास्टर और पाकिस्तान-जिहादियों के पसंदीदा हैं। हालांकि इस ट्वीट पर तमाम लोग जावेद अख्तर के समर्थन में भी खड़े नजर आए। अनिरुद्ध चंदा नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘लॉकडाउन की दुश्वारियों के बावजूद बरखा दत्त ग्राउंड रिपोर्ट कवर करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। वह पत्रकारों के उस घराने का हिस्सा नहीं हैं, जो चमचमाते स्टूडियो में बैठकर पत्रकारिता को कंट्रोल करते हैं…’।