कोरोनाकाल में खुलकर सरकार पर आलोचनात्मक खबरें छापने वाले मीडिया समूह दैनिक भास्कर और भारत समाचार के कई परिसरों में गुरुवार को आयकर विभाग के छापे पड़े। कर चोरी के आरोप में ये छापे भास्कर समूह के भोपाल, जयपुर अहमदाबाद आदि स्थानों पर किए गए। इस छापेमारी की लेकर विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि ये राजनीति से प्रेरित है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मीडिया समूहों पर इन छापों को पत्रकारिता पर मोदी-शाह का हमला बताया तो वहीं कांग्रेस की नेता रागिनी नायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह पर तंज़ किया है।
रागिनी नायक ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किए गए एक ट्वीट में व्यंग के लहजे में लिखा कि अगर ‘बदलापुर’ फिल्म का सीक्वल बने तो मोदी अमित शाह को ही लीड रोल मिलना चाहिए। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘अब 15 साल पहले का मोदी Snoopgate याद कराएंगे दैनिक भास्कर वाले, कोरोना की दूसरी लहर के समय अमित शाह के ‘मदद’ से ही सोशल डिस्टेंसिंग करने की खबर छापेंगे, निर्भीक पत्रकारिता करेंगे तो छापा तो पड़ेगा ही। वैसे ‘बदलापुर’ का सीक्वल बने तो लीड रोल दोनों मोटा भाई का ही होना चाहिए।’
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी भास्कर समूह और भारत समाचार के एडिटर इन चीफ के ठिकानों पर छापेमारी को लेकर ट्वीट किया है, ‘दैनिक भास्कर के दफ़्तरों पर भाजपा के फ़्रंटल आयकर विभाग का छापा मतलब अख़बार सही खबर छाप रहा था।’
अब 15 साल पहले का मोदी Snoopgate याद कराएँगे #दैनिक_भास्कर वाले
कोरोना की दूसरी लहर के समय अमित शाह के ‘मदद’ से ही social distancing करने की खबर छापेंगे
निर्भीक पत्रकारिता करेंगे तो छापा तो पड़ेगा ही
वैसे
बदलापुर’ का Sequel बने तो Lead Role दोनों मोटा भाई का ही होना चाहिए pic.twitter.com/ZapAaJtruK
— Dr. Ragini Nayak (@NayakRagini) July 22, 2021
एक और ट्वीट ने कांग्रेस नेता लिखती हैं, ‘भारत समाचार के एडिटर के यहां भी भाजपा फ़्रंटल आयकर विभाग का छापा, मतलब वह भी पत्रकारिता कर रहे हैं चरणवंदन नहीं!’
कांग्रेस नेता श्रीनिवास बी वी ने भी इस मुद्दे पर कड़े शब्दों में सरकार की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘जहां न पहुंचे मोदी शाह का पेगासस, वहां पहुंचे आईटी, सीबीआई और इनकम टैक्स। डियर मीडिया, ये अघोषित आपातकाल नहीं तो क्या?’
वहीं पत्रकार अजीत अंजुम ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, ‘अगर आप सत्ता से सवाल करने वाली पत्रकारिता करते हैं तो सलाखों के पीछे जाने को भी तैयार रहें। छापे तो ट्रेलर हैं.. अगर मोदी और शाह की सत्ता के सामने लोटने/ लेटने और उनकी भजन/आरती वाली पत्रकारिता कर रहे हैं तो मस्त रहिए। आप तय कर लीजिए कि क्या करना है ..।’
वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष अपने ट्वीट ने लिखते हैं, ‘मीडिया से डर किसको लगता है और क्यों लगता है? मीडिया को ग़ुलाम बनाने की एक और कोशिश?’