बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में डिप्रेशन को लेकर बात की थी। उनका कहना था कि गांव में डिप्रेशन जैसा कुछ नहीं होता, ये सब शहरों में होता है। नवाज के इस बयान पर एक्टर गुलशन देवैया ने क्रिप्टिक ट्वीट किया था। उन्होंने इसे धृतराष्ट्र और गांधारी सिंड्रोम बताते हुए लिखा था कि वह नवाजुद्दीन सिद्दीकी को इस बात के लिए गंभीरता से नहीं लेंगे।
नवाज पर की टिप्पणी पर ये बोले गुलशन देवैया
अब गुलशन देवैया ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में इस पूरे मामले को लेकर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा,”मेरा इरादा नवाज भाई के विचारों की आलोचना करना नहीं था, क्योंकि यह बहुत लोकप्रिय विचार है। बहुत से लोगों के कुछ हद तक यह विचार हैं। उनका मानना है कि एक शहरी सेटअप में रहने वाले लोग और जो दबाव वह अनुभव करते हैं, उन दबावों से बहुत अलग होते हैं जो एक ग्रामीण सेटअप में रहने वाले व्यक्ति अनुभव कर सकते हैं।”
देवैया ने आगे कहा,”इसलिए, यह संभव है कि शहरी क्षेत्रों में लोग मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक संवेदनशील हों क्योंकि हम लोग टेक्नोलॉजी के साथ रहने के लिए नहीं बने हैं, लेकिन हमारा जीवन इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता है।”
मेंटल हेल्थ पर बोले गुलशन
मेंडल हेल्थ के बारे में बात करते हुए गुलशन ने कहा,”लेकिन साथ ही, हम इस तथ्य को खारिज नहीं कर सकते और मेंटल हेल्थ को हम अनदेखा और ऐसे बांट नहीं सकते। ये एक परेशानी है। मैं इस परेशानी में एक्सपर्ट नहीं हूं और न मैं इसका पता लगा सकता हूं। जो मैं कर सकता हूं वो ये कि इस मुद्दे पर बात कर सकता हूं, जिससे लोग भी आगे आएं और इसपर बात करें।”
“बातचीत कुछ और ही होनी चाहिए। मैं नवाज के विचारों पर कटाक्ष नहीं कर रहा हूं, बल्कि सिर्फ यह कह रहा हूं कि हमें किसी मुद्दे पर बात करते समय आंखें बंद नहीं कर लेनी चाहिए। बल्कि इसे आसान बनाना चाहिए, जिससे लोग इसे समझ सकें।”
क्या बोले थे नवाज?
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने हालिया इंटरव्यू में डिप्रेशन को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था,”मैं बस अपना अनुभव बता रहा हूं, हो सकता है मैं गलत हूं। लेकिन आज भी अगर मैं अपने गांव जाता हूं, जो 3 घंटे की दूरी पर ही है और कहता हूं कि मुझे डिप्रेशन है, मेरे थप्पड़ पड़ जाएंगे। वो लोग मुझे कहेंगे कि खाना खाओ और खेतों में जाओ।वहां ऐसा कुछ होता ही नहीं। किसी को इस बारे में पता ही नहीं है। गांव में किसी को डिप्रेशन नहीं होता। जाकर देख सकते हैं।”
“आप देखेंगे कि लोगों को अपनी छोटी-छोटी परेशानियों को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने की आदत होती है। वे यह क्यों नहीं देखते कि वास्तविक समस्याओं वाले लोग अपना जीवन कैसे जीते हैं। देखो ये बारिश में पगडंडियों पर कैसे चलते हैं, उन लोगों को डिप्रेशन क्यों नहीं होता?”