Friendship Day 2025: दोस्ती, उतार-चढ़ाव और फिर भी साथ निभाने का नाम है। दोस्त वो है जो कभी-कभी परिवार से भी ज्यादा जरूरी हो जाता है, क्योंकि ये वो रिश्ता है जो जन्म से नहीं बल्कि कर्म से बनता है। दोस्त हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा हिस्सा होते हैं। ये वो लोग होते हैं जिन्हें हम अपनी जिंदगी में चुनते हैं और हमेशा अपने साथ रखते हैं। बॉलीवुड ने सालों से दोस्ती को खूबसूरत ढंस से पेश करने की कोशिश की है और कई ऐसी फिल्में, डायलॉग हैं जो फ्रेंडशिप को बखूबी बयां करते हैं। आज Friendship Day के मौके पर हम आपको उन गानों और फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।
‘प्यार दोस्ती है’ से लेकर ‘दोस्ती में नो थैंक यू, नो सॉरी’ तक, फिल्मों में ऐसे कई पल हैं जो दोस्ती को सबसे मजबूत बनाते हैं। आज फ्रेंडशिप डे मनाते हुए, पेश हैं बॉलीवुड के 10 ऐसे पल जिन्होंने दोस्ती में विश्वास को और भी मजबूत बनाने में मदद की है।
मैंने प्यार किया
सलमान खान और भाग्यश्री की फिल्म आज भले ही कई साल पुरानी हो चुकी है, लेकिन दोस्ती और प्यार की परफेक्ट मिसाल है। क्योंकि यहां उनके प्यार से भी ज्यादा खास उनकी दोस्ती थी। सलमान और भाग्यश्री के इन डायलॉग्स ने साबित किया कि दोस्ती सबसे ऊपर होती है…
दोस्ती के लिए बेस्ट डायलॉग
दोस्ती का एक उसूल है मैडम, नो सॉरी, नो थैंक यू।
दोस्ती की है निभानी तो पड़ेगी
कुछ-कुछ होता है
करण जौहर के निर्देशन में बनी पहली फिल्म आज भी दोस्ती की गवाही देती है। राहुल और अंजलि और राहुल और टीना के बीच की दोस्ती पर कभी सवाल नहीं उठाया जा सकता। इस फिल्म में अंजलि और राहुल की जो दोस्ती दिखाई है वो बेहद खूबसूरत और प्योर है। इसमें एक डायलॉग है जो काफी मशहूर हुआ। क्लास में राहुल से पूछा जाता है प्यार क्या है और इसका खूबसूरत जवाब देते हुए राहुल कहता है-
दोस्ती पर डायलॉग
“प्यार दोस्ती है। अगर वो मेरी सब से अच्छी दोस्त नहीं बन सकती, तो मैं उसे कभी प्यार कर ही नहीं सकता… क्यों कि दोस्ती बिना तो प्यार होता ही नहीं… सिंपल, प्यार दोस्ती है।”
कल हो ना हो
करण जौहर अन्य फिल्म जिसने दोस्ती के असली मायने दिखाए। शाहरुख खान और प्रीति जिंटा की दोस्त के रूप में केमिस्ट्री पर कोई शक नहीं है। इस फिल्म का दोस्ती पर एक डायलॉग जो काफी मशहूर हुआ। जब प्रीति जिंटा, शाहरुख को सैफ और उनके रिश्ते के बारे में बताती हैं तो शाहरुख उन्हें एक बात कहते हैं।
क्या है खास डायलॉग?
“प्यार का पहला कदम दोस्ती है, और आखिरी भी… बस बीच के कदम रह गए हैं।”
जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
दोस्ती के मामले में ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ हिंदी सिनेमा की बेस्ट फिल्म मानी जाती है। पूरी फिल्म में एक-एक सीन दोस्ती को दर्शाता है। चाहे वो तीन दोस्त ऋतिक रोशन, फरहान अख्तर और अभय देओल का गाड़ी में स्पेन घूमना हो, टॉयलेट में अनजान लोगों को डराना हो या साथ में स्काई डाइविंग करना हो। इस फिल्म ने दोस्ती को एक बेहद बड़े स्तर पर दिखाया।
दिल चाहता है
सैफ अली खान, आमिर खान और अक्षय खन्ना ने साबित कर दिया कि दोस्ती ही वो चीज है जो परिवार और प्यार के बंधनों से परे, हमेशा के लिए टिकती है। दोस्ती को परिभाषित करने वाला सबसे बेहतरीन सीन वो था जब आमिर खान गाड़ी चला रहे होते हैं और एक सिग्नल पर उन्हें अपने कॉलेज के दोस्त साथ में समय बिताते दिखाई देते हैं, तभी उन्हें अचानक अपने दोस्तों को फोन करके उनसे मिलने का ख्याल आता है। उस सीन को देख कोई अपने आंसू नहीं रोक सकता।
क्वीन
वैसे तो ये एक लाचार सिंगल लड़की की कहानी है जो शादी टूटने पर अकेले हनीमून पर पेरिस जाने का फैसला लेती है। मगर वहां जाकर उसमें जो आत्मविश्वास आता है वो तारीफ के काबिल है और ऐसा वो इसलिए कर पाती है क्योंकि उसे वहां मिलते हैं सच्चे दोस्त। उनमें सबसे खास दोस्त बनती है विजयलक्ष्मी जिसका किरदार लिसा हेडन ने निभाया है। वो रानी यानी कंगना को स्वतंत्र, आत्मनिर्भर रहना सिखाती है। वो सिखाती है कि दोस्ती के बंधन में कैसे विश्वास रखें और कैसे दोस्ती हमेशा प्यार से बेहतर होती है।
फिल्म का खास डायलॉग जब कंगना भारत वापस लौट रही होती है और अपने पूर्व मंगेतर विजय को याद कर दुखी होती है तो उनकी दोस्त कहती है, “विजय नहीं है, तो क्या हुआ? विजयलक्ष्मी तो है।”
रंग दे बसंती
राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ने हिंदी सिनेमा में कमाल कर दिया। ‘रंग दे बसंती’ आज तक की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है, न सिर्फ देशभक्ति की वजह से, बल्कि दोस्ती की वजह से भी। फिल्म के हर फ्रेम में पूरी कास्ट दोस्ती का नारा लगाती है और यही हमें बहुत पसंद है! यह फिल्म आपको सिखाती है कि आप अपने दोस्तों के साथ कहीं पर खूब मस्ती कर सकते हैं और किसी अपने को खोने के बाद भी एक-दूसरे का साथ दे सकते हैं।
ये जवानी है दीवानी
नैना, बनी, आदि और अवि, हम सब उन्हें जानते हैं। जब फिल्म शुरू होती है और वे शिमला जा रहे होते हैं, तो हम देखते हैं कि अवि पैसों की तंगी के कारण आखिरी पल में अपनी जर्नी कैंसिल कर देता है। लेकिन बनी उसे पैसे देता है और अपने साथ ले जाता है। इस फिल्म में कई ऐसे पल हैं जो सच्ची दोस्ती को दिखाते हैं। वैसे तो फिल्म में बहुत से यादगार डायलॉग हैं, लेकिन जो दोस्ती पर फिट बैठता है वो है- “कुछ लोगों के साथ रहने से ही सब ठीक हो जाता है।”
3 इडियट्स
फ्रेंडशिप डे पर हम इस फिल्म को कैसे भूल सकते हैं। आमिर खान, शरमन जोशी और आर माधवन ने कॉलेज की दोस्ती को बखूबी निभाया। रैंचो द्वारा राजू के लिए परीक्षा का पेपर चुराना, आत्महत्या की कोशिश करने पर उसकी जान बचाना और ऐसे ही कई उदाहरण फिल्म में दोस्ती की मिसाल पेश करते हैं।
इस फिल्म का बेस्ट डायलॉग जिससे हर कोई खुद को जोड़ सकता है वो था-
“दोस्त फेल हो जाए तो दुख होता है… लेकिन दोस्त पहले आ जाए तो ज्यादा दुख होता है।”