किसान आंदोलन की ट्रैक्टर रैली के दौरान 26 जनवरी के दिन हुई घटना को कवर कर रहे कुछ पत्रकारों के ख़िलाफ़ राजद्रोह और राष्ट्रीय एकता के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण बयान देने की आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज़ किए गए हैं। स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और फिर उनके जेल जाने की घटना से खूब विवाद भी हुआ था।

इसी बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर समेत 5 अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। राजदीप सरदेसाई, शशि थरूर और अन्य 5 लोगों पर आरोप है कि इन्होंने ट्रैक्टर रैली के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत के बारे में असत्यापित खबर साझा की थी।

इन्हीं सभी घटनाक्रमों के संदर्भ में पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एक ट्वीट कर कहा कि किसानों को अब उन पत्रकारों के समर्थन में आवाज़ उठाने की जरूरत है जो सरकार के निशाने पर हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘वक्त आ गया है..सरकार के निशाने पर आए पत्रकारों के लिए किसान खड़े हों।’ पुण्य प्रसून बाजपेयी के इस ट्वीट पर लोगों की मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। राजेंद्र सिंह नाम के यूज़र ने लिखा, ‘अब पता लगा इतने दिन से किसानों का समर्थन क्यों कर रहे थे।’

 

राजू पुरोहित ने लिखा, ‘आएंगे ना योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, राकेश, नरेश, क्रांतिकारी अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह सब आएंगे।’ राहुल डोंगरे ने लिखा, ‘वक्त आ गया है कि पत्रकार का चोला पहनकर जो देश से गद्दारी कर रहे हैं..उस झूठे पत्रकारों को सलाखों को पीछे पहुंचाना चाहिए।’ रियाज अहमद नाम के यूज़र ने लिखा, ‘सरकार के निशाने पर वह सब हैं जो सरकार के खिलाफ खड़े होते हैं।’

रामरतन जाट ने लिखा, ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए, रैलियों में ताली बजाने का परिणाम किसानों को भुगतना पड़ेगा।’ राणा जी नाम के यूज़र ने लिखा, ‘वो तो पहले से खड़े ही हैं, हर सताए हुए के लिए, दोनों पूरक हैं एक दूजे के।’ ऋषिकेश कुमार नाम के यूज़र ने लिखा, ‘बहती गंगा में आप भी हाथ धो लीजिए, वैसे काफी दिन से बेरोजगार बैठे हैं।’