आरती सक्‍सेना

कोरोना काल में ओटीटी (ओवर द टाप) प्लेटफार्म सिनेमाप्रेमियों के लिए नए विकल्प लेकर आया, वहीं इसने सिनेमा मालिकों और फिल्म निर्माताओं के सामने नई मुश्किलें भी खड़ी कीं। कोरोना महामारी के बाद पहले सिनेमाघर बंद और बाद में आधी क्षमता के साथ शुरू हुए। आधी क्षमता के सिनेमाघरों से महंगे बजट की फिल्मों की लागत निकालना निर्माताओं के लिए मुश्किल बन गया। छोटे बजट की फिल्मों के निर्माता तो एक के बाद एक ओटीटी प्लेटफार्म पर अपनी फिल्में रिलीज कर रहे हैं। उधर सिनेमाघरों के मालिकों के लिए हालात अभी भी अनुकूल नहीं हैं। एक महीने से नई हिंदी फिल्म रिलीज नहीं होने के कारण सिनेमाघर मालिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

आधी क्षमता से कारोबार करना सिनेमाघर मालिकों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। उस पर रात के कर्फ्यू से रात का शो प्रभावित हो रहा है। लंबे समय तक सिनेमाघर मालिक नुकसान उठाने की स्थिति में नहीं हैं। हालात ठीक इसलिए नहीं हैं कि इन सिनेमाघरों को नई हिंदी फिल्में देने के लिए निर्माता आगे नहीं आ रहे हैं। 2022 में अब तक कोई भी नई हिंदी फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हुई है। नई फिल्मों हिंदी फिल्में नहीं मिलें तो सिनेमाघर क्या दिखाएं? दर्शकों की पुरानी फिल्में देखने में रुचि नहीं है।

प्रदर्शन क्षेत्र जहां इस मुश्किल से जूझ रहा है, वहीं निर्माण क्षेत्र में रिलीज न हो पाई फिल्मों का ढेर इक्ट्ठा होने से निर्माता तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे सिनेमाघरों में फिल्में रिलीज करें या नहीं। ‘पुष्पा’ की सफलता और अलु अर्जुन की दूसरी फिल्म ‘अला वैकुंठपुरमुलु’ को 26 जनवरी से सिनेमाघरों में दिखाने की घोषणा ने सिनेमाघर मालिकों में उम्मीद जगाई थी। मगर इसके रिलीज नहीं किए जाने के बयान से उनको धक्का लगा है। ‘अला वैकुंठपुरमुलु’ का हिंदी डब संस्करण चाहे 26 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हुआ हो, मगर हिंदी में यही फिल्म गोल्डमाइंस कंपनी के मनीष शाह के चैनल धिनचाक पर रिलीज की जाएगी।

क्या करें सिनेमाघर मालिक

अगर नई फिल्मों के निर्माता सिनेमाघरों में अपनी फिल्में रिलीज नहीं कर रहे हैं तो इस स्थिति में सिनेमाघर मालिक कब तक टिके रह सकते हैं। उनका नुकसान लगातार बढ़ रहा है। क्या वे अपने सिनेमाघर बंद रखें या बेच दें। कोरोना काल में कई क्षेत्रों में प्रतिबंध शिथिल किए जा रहे हैं, इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि जल्दी ही प्रदर्शन क्षेत्र को सौ फीसद क्षमता से कारोबार की अनुमति मिलेगी। ओटीटी प्लेटफार्म पर नई फिल्में रिलीज हो रही हैं मगर मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के मालिक हालात सुधरने का इंतजार कर रहे हैं।

सिनेमा मालिकों का मानना है कि हालात अगर ऐसे ही रहे तो उनको भारी नुकसान उठाना पडेÞगा और वे शायद सिनेमाघर चलाने की स्थिति में ही न रहें। उनके सामने अपने सिनेमाघर बेचने की नौबत आ जाए। 2022 में कई सारी फिल्में जो सिनेमाघरों में रिलीज के लिए कतार में थीं, वे अब करोना प्रतिबंधों के कारण धीरे-धीरे ओटीटी की तरफ बढ़ रही हैं। जैसे ‘भूल भुलैया 2’ ,राज कुमार राव अभिनीत ‘बधाई दो’ ,अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘गुड बाय’, तापसी पन्नू की लूप लपेटा, दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘गहराई’, अजय देवगन और अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘रन वे 34’। इनके अलावा ब्रिगेडियर बलराम सिंह की जीवनी पर आधारित फिल्म भी ओटीटी पर रिलीज होने की तैयारी में है।

अक्षय की ‘बच्चन पांडे ’ भी ओटीटी पर

यशराज फिल्म्स जैसी मजबूत कंपनी ने ओटीटी चैनलों को फिल्में मुहैया करवाने के लिए बाकायदा एक यूनिट स्थापित कर ली है और उसके लिए फंड भी रखा है। यह यूनिट खासतौर से ओटीटी के लिए ही फिल्में बनाएगी। दूसरे निर्माता भी हालात सामान्य होने के इंतजार से उकता कर अपनी फिल्में ओटीटी चैनलों को दे रहे हैं। हर सप्ताह ऐसी घोषणाएं हो रही हैं। हालात ऐसे हैं कि फिल्म निर्माताओं को ओटीटी का विकल्प चुनने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं सूझ रहा है। अक्षय कुमार की दो फिल्में ‘लक्ष्मी’ और ‘अंतरंगी रे’ ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है।

सलमान खान की ‘राधे’ भी सिनेमाघर और ओटीटी पर एकसाथ रिलीज हुई। लेकिन दोनों ही कोई खास धमाल नही मचा पाई । अक्षय कुमार की ‘बच्चन पांडे’ भी अब ओटीटी पर रिलीज होने जा रही हैं। साजिद नडियाडवाला की बनाई ‘बच्चन पांडे’ को ओटीटी से 175 करोड़ की मोटी रकम मिली है। इसने दूसरे निर्माताओं में लालच पैदा कर दिया है। क्रिकेटर झूलन गोस्वामी की बायोपिक के अलावा अनुष्का शर्मा भी ओटीटी पर पदार्पण करने जा रही हैं।

कुछ अभी भी अड़े

कुछ फिल्मकार हैं जो आज भी अपनी फिल्म सिनेमाघरों में दिखाने पर अड़े हैं। इसकी वजह यह है कि उन्होंने सिनेमाघरों को ध्यान में रखकर ही फिल्में बनाई थीं। वे इंतजार करने के लिए तैयार हैं। शाहिद कपूर की ‘जर्सी’ भी ओटीटी पर रिलीज होने वाली थी। शाहिद ने कहा कि भले मेहनताना कम दो, मगर फिल्म सिनेमाघर में रिलीज करो।