फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर पूरे देश में हंगामा हो रहा है। फिल्म को लेकर लोगों की राय दो भागों में बंटी हुई है। एक तरफ लोगों का कहना है कि फिल्म समाज में जहर घोलने का काम कर रही है तो दूसरी तरफ लोग यह भी कह रहे हैं कि फिल्म के जरिए कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी सामने आई है। इसी बीच अब कांग्रेस नेता ने फिल्म को नफरत फैलानी वाली कहा तो फिल्ममेकर अशोक पंडित भड़क गये।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा कि “कुछ फिल्में बदलाव की प्रेरणा देती हैं। कश्मीर फाइलें नफरत के लिए उकसाती हैं। सत्य न्याय, पुनर्वास, मेल-मिलाप और शांति की ओर ले जा सकता है। प्रोपेगैंडा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है, गुस्से को भड़काने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है। नेता घाव भरते हैं। प्रचारक फूट डालो और राज करो के लिए भय और पूर्वाग्रह का फायदा उठाते हैं।”
फिल्ममेकर अशोक पंडित ने इसका जवाब देते हुए ट्विटर पर लिखा कि “जयराम जी आप ने आपके साथियों ने सिखों का नरसंघार किया है, यासीन मलिक जैसे आतंकवादियों को गले लगाया और अब बेशर्मी से हेट और लव पर प्रवचन दे रहे हैं। सच सुनने की आदत कर लो। यही नया भारत है।” एक अन्य ट्वीट में अशोक पंडित ने ट्विटर पर लिखा कि “1984 में सिखों के नरसंहार और देश में आपातकाल लगाने के अपराधियों को नफरत और शांति के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है।” अब सोशल मीडिया पर लोग भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने जयराम रमेश को जवाब देते हुए लिखा है कि “हम इस पर बहस क्यों नहीं करते जयराम रमेश जी। जनता को आपकी बात भी पता चल जाएगी। एक फिल्म को बातचीत शुरू करनी चाहिए और मुझे मुख्य भूमिका निभाने में बहुत खुशी होगी।” भाजपा नेत्री शैफाली वैद्य ने जवाब देते हुए लिखा कि “मूल रूप से, जो कुछ भी कांग्रेस के हिंदू विरोधी एजेंडे को उजागर करता है, वह नफरत है। जो कुछ भी कांग्रेस की अल्पसंख्यक तुष्टीकरण नीति का महिमामंडन करता है, वह सच है! आगे बढ़ते रहिए जयराम रमेश जी, हिंदुओं का दिल जीतने का शानदार तरीका!”
लेखक आनंद रंगनाथन ने जवाब देते हुए लिखा कि “राजीव गांधी ने सिख नरसंहार के अपराधियों को भागने दिया। आप चुप थे। उन्होंने भोपाल नरसंहार के अपराधियों को भागने दिया। आप चुप थे। उसने कश्मीर नरसंहार के अपराधियों को भागने दिया। आप चुप थे। आप चुप थे। तीन नरसंहारों के वक्त। आज आप सत्य और न्याय की बात करते हैं।”
श्रद्धा सक्सेना नाम की यूजर ने लिखा कि “जयराम जी कृपया बताएं कि पलायन को रोकने के लिए कोई कड़े कदम क्यों नहीं उठाए गए? फिल्म एक प्रचार हो सकती है लेकिन निश्चित रूप से आपके बिगड़े प्रशासनिक कौशल को भी प्रकट करती है। सरकार अपने ही लोगों को न बचाने में ‘कायर और बेशर्म’ थी।” दुर्गेश नाम के यूजर ने लिखा कि “सच्चाई पर चर्चा और स्वीकार किए बिना, कोई पुनर्वास और सुलह नहीं किया जाना चाहिए। The Kashmir Files आप राजनीतिक बात करते रहे हैं, राजनीतिक बात करते हैं और राजनीतिक बात करेंगे क्योंकि आप राजनीतिक तुष्टिकरण कर रहे हैं। तुष्टिकरण आपकी राजनीति का डीएनए है।”