यूपी में विधानसभा चुनाव के चलते राजनीति गर्म है। नेताओं की जुबान और भाषण तीखे -भड़काऊ होते जा रहे हैं। पिछलों दिनों एक टीवी डिबेट के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और टीवी एंकर के बीच स्टेज पर ही कहासुनी हो गई थी। टिकैत ऊंची आवाज में एंकर पर भड़क गए तो जवाब मिला था- मैं पश्चिमी यूपी से ही हूं। तेज आवाज करके मुझ पर हावी होना चाहेंगे तो ये हो नहीं पायेगा।
इंडिया टीवी की तरफ से यूपी की राजधानी लखनऊ में कार्यक्रम आयोजित था। जिसमें अपनी और किसानों की बात रखने के लिए राकेश टिकैत भी पहुंचे थे लेकिन चर्चा की शुरुआत होते ही राकेश टिकैत और एंकर सौरभ शर्मा के बीच टक्कर हो गई थी। हालांकि बाद में दोनों शांत हुए और कार्यक्रम आगे बढ़ा। इसके बाद सौरभ शर्मा ने इस घटना पर एक और ट्वीट किया।
सौरभ शर्मा ने ट्विटर पर लिखा कि “तमीज़ से बात करेंगे, इज़्ज़त मुफ्त मिलेगी, बदतमीज़ी का जवाब ठोक के मिलेगा। राकेश टिकैत बताना भूल गया था, मेरठ का हूं।” एंकर सौरभ शर्मा के इस ट्वीट पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने सौरभ शर्मा का साथ दिया तो कुछ ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता तो रहा तो आगे और करार जवाब मिलेगा।
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया एडवाइजर सौरभ उपाध्याय ने सौरभ शर्मा को जवाब देते हुए लिखा कि बात किसान की हो रही थी फिर मंदिर-मस्जिद दिखाने की क्या जरूरत थी? देश का पेट किसान के खेतों से पैदा हुए अनाज से भरता है। मंदिर मस्जिद से नहीं। मेरठ नहीं, रामपुर से हो, चाहे अयोध्या से, जब बात किसान की होगी तो पर्दे पर किसान ही चलना चाहिए। वरना आगे से ज़बाब और करारा मिलेगा।
अनिरुद्ध भट्टाचार्य नाम के यूजर ने लिखा कि अब बहुत देर हो चुकी है। सच्चाई ये है कि उस पल में राकेश टिकैत ने आपके मुंह पर वो सच दे मारा कि आप बिलबिला के रह गए। साफ़ दिखा कि आप बिल्कुल प्रस्तुत नहीं थे। झेंप मिटाने के लिए अब आप कुछ भी कहें, हकीकत खुद वो पल बयां कर चुका है। पत्रकारिता के पेशे से आप ईमानदारी नहीं बरतते हैं। सौरभ रणवारे नाम के यूजर ने लिखा कि गोदी पत्रकारिता का खामियाजा अच्छे पत्रकारो को भी भुगतना पड़ रहा है, लेकिन स्टेज के पीछे लगे पोस्टर से नाराजगी जायज है राकेश टिकैत जी की, क्यों वहां खेत या किसान नहीं दिखाई दिया। मंदिर और मस्जिद लगाया क्यों लगाया गया था?
बता दें कि राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। राकेश टिकैत ही वो व्यक्ति थे जो गाजीपुर बॉर्डर से वापस लौट रहे किसानों को रोकने के लिए आंसू तक बहा दिए थे और इसके बाद किसान आंदोलन उठ खड़ा हुआ था। बात अगर चुनाव की जाए तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की शुरुआत 10 फरवरी से होने जा रही है। 10 मार्च को नतीजे सामने आएंगे।