CineGram: अभिनेता संजय खान से जुड़े किस्से लोगों ने खूब सुने होंगे, मगर उनके साथ ‘द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ के सेट आग की चपेट में आ गए थे। ये वक्त उनके लिए काफी मुश्किल था, वो बुरी तरह झुलस गए थे। वो दिन उनके लिए कितने कठिन थे, ये उनकी पत्नी जरीन खान ने बताया था, उन्होंने अपनी आंखों से संजय खान को अस्पताल के बेड पर पड़े हुए जिंदगी और मौत के बीच लड़ते देखा था।
लहरें को दिए पुराने इंटरव्यू में जरीन ने कहा कि उस दुर्घटना के बाद उन्होंने अपने पति को बेबस देखा। जरीन ने कहा कि उन्हें लगा था कि संजय हार नहीं मानेंगे और ऐसा ही हुआ। बता दें कि ‘द स्वोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ के सेट पर भीषण आग लग गई थी, जिसमें 52 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। संजय खान इस फिल्म को डायरेक्ट भी कर रहे थे और इसमें एक्टर भी थे, वो भी उस आग की चपेट में आ गए थे और उनका शरीर 65% जल गया था। वो इतना बुरी तरह जल गए थे कि उन्हें पूरे 13 महीने अस्पताल में रहना पड़ा था और उनकी 73 सर्जरी हुई थीं।
को-एक्टर ने भी सुनाया किस्सा
8 फरवरी, 1989 को मैसूर के प्रीमियर स्टूडियो में ‘टीपू सुल्तान’ के शूट पर भीषण आग लगी थी। इसके बारे में एक्टर अनंत महादेवन ने भी हाल ही में बताया था। सिद्धार्थ कनन को दिए इंटरव्यू में अनंत ने कहा, “जिस दिन मैं मैसूर स्टूडियो के लिए फ्लाई करने वाला था, मेरा ड्राइवर मुझे एयरपोर्ट छोड़ने के लिए नहीं आया। मैं भागा और टैक्सी लेकर किसी तरह टाइम पर एयरपोर्ट पहुंच गया। जब मैं बैंगलुरु पहुंचा तो कोई मुझे लेने नहीं आया, मुझे नहीं पता था कि कहां जाऊं। फिर मैंने एक टैक्सी बुक की जिससे मैं प्रीमियर स्टूडियो गया, ये 3 घंटे की ड्राइव थी।”
अनंत महादेवन ने आगे कहा, “रास्ते में टैक्सी तीन बार खराब हो गई। ऐसा लगा कि कोई इशारा मिल रहा है कि मत जाओ, रुक जाओ। मुझे नहीं पता था कि ये मेरे लिए लाइफटाइम रोल था। मैं शाम को 5 बजे सेट पर पहुंचा, संजय दीवाली सीन डायरेक्ट कर रहे थे, छत बहुत नीची थी और ये गांव का सेटअप था, चारों तरफ सूखा घास था। मैंने खान साहब को बोला कि हम ये फिल्म मुंबई में भी कर सकते थे। उन्होंने मुझे आसपास कोई जगह देखने के लिए कहा, मैं कुछ देर बाद वापस आया और बाहर बैठ गया। मैं होटल के कमरे में जाकर आराम करना चाहता था। 4-5 लोगों के साथ मैं होटल पहुंचा और किसी ने हमें बताया ‘बहुत बड़ी आग लग गई है सेट पर’।”
इसके बाद अनंत ने बताया कि वो सेट पर वापस गए और देखा कि सेट के बाहर गांव वाले इकट्टा हैं। उन्होंने कहा, “मैंने देखा डेड बॉडीज का ढेर लगा हुआ है। किसी ने मुझे कहा कि भाग जाओ क्योंकि भीड़ उग्र हो सकती है। ये मेरे लिए ट्रॉमा भरी रात थी। अगली सुबह खबर आग की तरह फैल गई लेकिन किसी को नहीं पता था कि हम जिंदा हैं। हमनें अपने परिवार और दोस्तों को कॉल किया ये बताने के लिए कि हम जिंदा है। सबने हमें बताया कि तुमने तुम्हारा रोल और जॉब खो दी, अब ये कभी वापस नहीं आएगा। मैं डिप्रेशन में था और पता नहीं था कि अब क्या करूं।”
करीब 6 महीने बाद डायरेक्टर अकबर खान, संजय खान के भाई डायरेक्टर करने वाले थे और दोबारा कास्टिंग कर रहे थे। “मेरे रोल के लिए किसी और की तस्वीर लगा दी गई। मैं अकबर के घर गया और बताया कि उनके भाई ने इसके लिए मुझे चुना था। उन्होंने सही जवाब नहीं दिया, लेकिन दूसरे एक्टर की जगह मेरी तस्वीर लगा दी गई।”
संजय खान की हेल्थ को लेकर अनंत ने कहा, “मैं अस्पताल गया जहां संजय को भर्ती कराया गया था और मैंने आईसीयू के शीशे से उन्हें देखा। वो उनकी सर्जरी कर रहे थे ये जानने के लिए कि उन्हें कितना ठीक किया जा सकता है। उन्होंने उनके बिना 25 एपिसोड शूट किए और उन छह महीनों के बाद संजय खान की एंट्री हुई। उन्होंने मेंटल ट्रॉमा, फिजिकल ट्रॉमा, घावों पर काबू पाया और खुद को टीपू सुल्तान के रूप में प्रेजेंट किया। इसके लिए बहुत साहस की आवश्यकता है, वह इसे सबसे बहादुर कार्यों में से एक के रूप में करने में कामयाब रहे…”