किसान आंदोलन के दौरान एक चेहरे ने सबसे ज़्यादा सुर्खियां बटोरी है और वो हैं भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत। राकेश टिकैत चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, जो अपने उसूलों के बेहद पक्के इंसान थे। महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के बीच बेहद लोकप्रिय थे और उन्हें, ‘किसानों का मसीहा’ कहा जाता था। वे अपने खांटी लहजे और स्पष्टवादिता के लिए मशहूर थे।
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत टेलीविजन और फिल्मों के खिलाफ थे। वो लव मैरिज के भी सख्त खिलाफ थे। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महेंद्र सिंह टिकैत को भले ही टेलीविजन और फिल्मों से चिढ़ थी लेकिन जब फिल्म, ‘शोले’ की बात आती तो वो कभी मना नहीं करते थे। वो अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी अभिनीत इस फिल्म को बड़े ही चाव से देखते थे।
महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के नेता थे और उन्होंने अपने मंच पर कभी किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति को नहीं आने दिया। चाहे वो कितना ही बड़ी राजनीतिक हस्ती क्यों न हो, महेंद्र सिंह टिकैत ने उन्हें सदा ही अपने मंच से दूर रखा। महेंद्र सिंह टिकैत का प्रभाव इतना था कि खुद सरकार भी इनके आगे झुकने को मजबूर हो जाती थी।
उन्होंने गन्ना किसानों के अधिकारों के लिए 1988 में दिल्ली के विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक कब्जा जमा लिया था। तब करीब 5 लाख किसान राजधानी आ गए थे और यहां डेरा डाल दिया था। आखिरकार राजीव गांधी की सरकार ने महेंद्र सिंह टिकैत से बातचीत कर मसले को सुलझाया था।
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत का कद भी किसानों के बीच बढ़ता जा रहा है। 26 जनवरी की घटना के बाद राकेश टिकैत की भावुक अपील ने किसानों को उनसे और अधिक जोड़ा है और उनका प्रभाव और बढ़ता दिख रहा है। राकेश टिकैत इससे पहले भी कई किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रह चुके हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों के किसानों के लिए आंदोलन किए हैं और इस दौरान वो कई बार जेल भी जा चुके हैं।