बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अनुपम खेर ने 90 के दशक से अब तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाए हुए हैं। एक्टर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और आए दिन अपने इंस्टा पर पोस्ट शेयर करते हैं।
अब एक्टर ने अपने हालिया इंटरव्यू का एक वीडियो शेयर किया है। इसी के साथ अनुपम खेर ने अपने स्ट्रगल के दिनों को याद किया है। एक्टर ने बताया कि कैसे उनके परवार के 14 लोग एक ही कमरे में गुजारा करते थे। इसके अलावा एक्टर ने मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि शुरूआत में एक एक्टर के तौर पर अपमानित महसूस करते थे।
एक कमरे में रहते थे 14 लोग
अनुपम खेर ने ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे से बात करते हुए कहा कि एक्टर ने कहा कि मैं गरीब परिवार से था और ज्वाइंट फैमिली में रहता था। हमारे पास परिवार के 14 लोगों के रहने के लिए एक छोटा कमरा था। मेरे दादा-दादी और मेरे चाचा-चाची, मेरे चचेरे भाई-बहन और कमाने वाले एकमात्र सदस्य मेरे पिता जी थे। 50 के दशक के अंत और 60 के दशक की शुरुआत में प्रति माह 90 रुपये कमाते थे। इस दौरान सबसे अजीब बात यह थी कि उन दिनों मैं बहुत खुश रहता था।
अनुपम खेर ने आगे कहा कि मुझे अपने बचपन की एक याद है, एक दिन मैंने अपने दादाजी से पूछा कि हम खुश क्यों हैं? हम बहुत गरीब हैं! जिस पर दादा जी ने मुझसे कहा था कि जब इंसान सबसे गरीब होता है, तो सबसे सस्ती चीज खुशी होती है। बस उनकी इस बात ने मेरी लाइफ से गरीब होने का डर दूर कर दिया।
रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारी रातें
एक्टर ने आगे कहा कि जब में मुंबई आया तो लोग मुझसे पूछते थे कि क्या मुझे वहां काम मिल रहा है। मैं बैकग्राउंड में एक अभिनेता के साथ भीड़ में खड़ा होता था। उदाहरण के लिए विनोद खन्ना जी वहां होते थे, और वह तस्वीर भेजकर कहते थे, ‘हां, मैं उनसे मिला था।’ उनकी उम्मीद जिंदा रखनी होगी। लेकिन मैं कश्मीर में अपने दादा जी को पत्र लिखकर कहता था कि यह जीवन जीने का सबसे बदतर तरीका है। मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं। मैं शहर में नहीं रहना चाहता और शिमला, लखनऊ या दिल्ली वापस जाना चाहता हूं। यहां एक इंसान के तौर पर एक एक्टर के तौर पर अपमानित किया गया। मैं अपनी रातें रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजार रहा हूं। मैंने उनसे पूछा कि मैं यहां क्यों हूं। मेरे पत्र का दादा जी ने जवाब देते हुए लिखा था कि आपने बहुत मेहनत की है। आपके माता-पिता ने आपको यहां लाने के लिए बहुत मेहनत की है और आप पिछले डेढ़ साल से बंबई में हैं। एक बात याद रखें, ‘भीगा हुआ आदमी बारिश से नहीं डरता।’ उनकी यह लाइन मेरे लिए कमाल की थी।