कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान दिल्ली के जंतर मंतर पर अपनी संसद चला रहे हैं। पिछले सात महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि नरेंद्र मोदी सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले। वहीं सरकार यह कहती आई है कि वो संशोधन के लिए तैयार है लेकिन कानून वापस नहीं लिए जाएंगे। संसद के मानसून सत्र में भी किसानों का मुद्दा छाया हुआ है। किसान आंदोलन के अग्रणी नेता राकेश टिकैत ने इस बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को शेर की संज्ञा देते हुए कहा है कि दिल्ली का शेर चुप है, इसका मतलब कुछ हरकत होने वाली है।

न्यूज 24 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार नरम है, वो जरूर कोई नई चाल चलेगी। टिकैत ने कहा, ‘लोगों को तैयार रहने की जरूरत है। अगर शेर देखकर दुबक जाए तो हिरण को यह नहीं सोचना चाहिए कि से शांत है, बल्कि वो कोई न कोई दांव चलने की तैयारी में है। दिल्ली का शेर चुप बैठा है इसका मतलब है कि कुछ बड़ी हरकत होने वाली है। गांव वालों सावधान हो जाओ।’

वो आगे बोले, ‘सरकार नरम नहीं पड़ रही है, ये धोखा है। गांव वालों तैयार रहना क्योंकि दिल्ली चुप है। जो मीठा होता है, वो कुर्सी से चिपक जाता है, जैसे ततैया। सरकार मीठी है तो कोई न कोई चाल चलेगी।’ राकेश टिकैत के इस बयान पर आम लोगों की भी खूब प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। दीपक त्यागी नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘सिर्फ वोट की चोट से ही निदान होगा, यह किसानों को समझ लेनी चाहिए।’

 

कुतुब आलम नाम के एक यूजर लिखते हैं, ‘सही कहा टिकैत जी ने। किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने और आंदोलन को बदनाम करने के लिए कुछ गड़बड़ किए जाने की आशंका है। सबसे आसान है धार्मिक उन्माद फैलाना। अतः होशियार।’

गोल्ड जाली नाम के एक अकाउंट से ट्वीट किया गया, ‘नाना पाटेकर ने एक बात बोली थी वो सच होने जा रही है। ये नेता लोग हमें भ्रमित करेंगे। कभी किसान के नाम पर, कभी मजदूर के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर।’ वहीं राजाराम नाम के एक यूजर ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए लिखा, ‘कोरोना के वक्त चुप कर बैठ गए आदमी को शेर कहना शेर की बेइज्जती होगी।’