भारत में बॉलीवुड और साउथ फिल्मों का जबरदस्त बोलबाला देखने के लिए मिलता है। दर्शकों की ओर से उन्हें काफी पसंद किया जाता है। वहीं, रिलीजन भाषाओं में भी फिल्मों को बनाया जाता है। इसमें कुछ ही चर्चा में रह पाती हैं। इसी में से एक भोजपुरी भी है, जो आज अच्छे मुकाम पर है। इसका श्रेय इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकारों को जो जाता है, जिन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री को बढ़ाने में काफी काम किया है। भोजपुरी फिल्मों के बारे में अभी तक सभी जानते हैं कि पहली फिल्म 1962 में ‘गंगा मईया तोहे पियरी चढ़ाइबो’ आई थी। ये बात तो सच है लेकिन, भोजपुरी का पहली बार बोलबाला 1948 में दिलीप कुमार की फिल्म में देखने के लिए मिला था, जिसके 90 फीसदी गाने भोजपुरी में थे। जानकर चौंक गए ना आप। है ना शॉकिंग किस्सा, चलिए बताते हैं इसके बारे में…
दरअसल, इस किस्से के बारे में भोजपुरी स्टार और थिएटर आर्टिस्ट संजय पांडे (Sanjay Pandey) ने शेयर किया है। वो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। खुद से और भोजपुरी से जुड़े किस्से कहानियां अक्सर इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए शेयर करते रहते हैं। ऐसे में अब उन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री के इतिहास से जुड़ा एक फैक्ट शेयर किया है, जिसके बारे में शायद ही किसी को जानकारी होगी। इसके बारे में तो उन्हें खुद भी नहीं पता था लेकिन जब पता चला तो उन्होंने फट से इसे लोगों के साथ शेयर कर दिया।
भोजपुरी के दिग्गज अभिनेता संजय पांडे ने शेयर किया किस्सा
भोजपुरी के दिग्गज अभिनेता संजय पांडे ने फेसबुक पर भोजपुरी इतिहास से जुड़ा फेक्ट शेयर किया और लिखा, ‘अभी पिछले दिनों जब लखनऊ में भोजपुरी फिल्मों पर बोलने का मौका मिला तो थोड़ा भोजपुरी फिल्मों के इतिहास में गया तो बहुत सी नई जानकरियां मिलीं, 1962 से भोजपुरी फिल्मों की शुरुआत हुई है, ये तो सबको पता है पर मेरे मित्र और भोजपुरी फिल्मों पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले मनोज भावुक ने एक नई जानकारी दी और फिर मैंने वो फिल्म देखी तो मैं अचंभित हो गया और आज आपसे साझा कर रहा हूं।’
एक्टर आगे लिखते हैं, ‘1948 में ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में एक फिल्म बनी थी, नदियां के पार (सचिन-साधना सिंह वाली नहीं) और उस फिल्म के हीरो थे दिलीप कुमार साहब और हीरोइन थीं कामिनी कौशल और निर्माता-निर्देशक किशोर साहू… उस फिल्म में खास बात ये है वो फिल्म तो हिंदी है, पर हीरोइन मल्लाह है और उसकी बस्ती के लोग – छत्तीसगढ़ी बोलते हैं हीरो हिंदी बोलता है और सबसे खास बात कि उस फिल्म के 90 प्रतिशत गाने भोजपुरी में हैं, रोमांटिक सॉन्ग भी भोजपुरी में हैं, मुझे लगता है कि सिनेमा के इतिहास में ऐसा प्रयोग कभी नहीं हुआ होगा, गर्व होता है कि हमारी भोजपुरी कबसे है फिल्मों में और भोजपुरी संगीत के बिना हिंदी सिनेमा अधूरा है।’
बैलगाड़ी से देखने पहुंचे थे लोग पहली भोजपुरी फिल्म
भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़ाइबो’ थी, जिसे 23 फरवरी, 1962 में रिलीज किया गया था। दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया गया था। इसके गाने खूब हिट भी रहे थे। इसमें मोहम्मद रफी, आशा भोसले और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज में गाने गाए थे। इसे राष्ट्रपति की पेशकश पर बनाया गया था। इसके निर्माता प्रसाद शाहाबादी थे और एक्टर नाजीर हुसैन ने लीड रोल प्ले किया था।
60 के दशक में रिलीज हुई इस फिल्म को जब रिलीज किया गयाथा तो बताया जाता है कि फिल्म को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ी थी। उस वक्त ऑनलाइन का साधन नहीं था और ना ही दूसरी जगहों पर जाने का कोई साधन। ऐसे में लोग इस फिल्म को देखने के लिए बैलगाड़ियों में भरकर गए थे।