भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) में ‘बतासा चाचा’ के नाम से मशहूर मनोज सिंह टाइगर (Manoj Singh Tiger) अभिनय को ही अपना करियर बनाना चाहते थे। इसलिए पढ़ाई में मन नहीं लगता था। यही कारण रहा कि 10वीं में वे 3 बार फेल हो गए। एक्टिंग की इच्छा पूरी करने को लेकर उन्होंने साल 1997 में मुंबई की राह पकड़ ली। सपनों की नगरी आ गए लेकिन कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था कि कहां से शुरुआत की जाए।
काजल राघवानी से बातचीत में मनोज सिंह टाइगर ने कहा कि मुंबई में वह एक पत्रिका में ऑफिस बॉय की नौकरी कर ली। सालों तक यही काम करते रहे। अभिनय करने का शौक बरकरार रहा और इन्हीं दिनों वह शशि कपूर के पृथ्वी थिएटर में भी नाटक करने लगे।
मनोज टाइगर ने बताया कि वह दिन में पृथ्वी थिएटर में नाटक किया करते लेकिन जीविका के लिए वे रात में नौकरी करने की सोची। और काम मांगने एक होटल में पहुंच गए। होटल वाले ने मनोज टाइगर को देखा तो उन्हें ये काम करने से मना कर दिया। कहा, तुम ये काम क्यों करना चाहते हो कुछ और कर लो। तुम वेटर का काम कर लो। ये तुम्हारे लायक नहीं है।
मनोज टाइगर ने तब होटल के मालिक से कहा था कि वेटर का काम सुबह में होता है और सुबम में मैं नाटक करता हूं। आगे बताते हैं कि वह हफ्तों तक उस होटल में बर्तन मांजने (धोने) का काम किया। मनोज को इस काम के लिए उन्हें रोज 50 रुपए मिलते थे। मनोज ने बताया कि वह अनुराग कश्यप के साथ भी कई फिल्में कर रहे हैं।
गौरतलब है कि मनोज सिंह टाइगर ने साल 2010 में दिनेश लाल यादव की फिल्म निरहुआ रिक्शा वाला से करियर की शुरुआत की। मनोज सिंह ना सिर्फ एक अच्छे अभिनेता हैं बल्कि एक अच्छे स्क्रिप्ट राइटर और नाटककार भी हैं। 14 साल के भोजपुरी सिनेमा के करियर में मनोज सिंह को 20 से अधिक बार कॉमेडियन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिल चुका है। उनकी लेखनी के लिए साल 2018 में सर्वश्रेष्ठ स्टोरी राइटर का अवॉर्ड भी हासिल हुआ।