Bhediya Movie Hindi Review पश्चिम में वेयरवुल्फ यानी ‘मानव भेड़िया’ को लेकर कई फिल्में बनीं हैं और आज भी बन रही हैं। मानव भेड़िया वह व्यक्ति होता है जो इच्छाधारी होता है जो किसी बाध्यता की वजह से जरूरत पड़ने पर इच्छाधारी नाग की तरह ही भेड़िया बन जाता है। अमर कौशिक (Amar Kausik) निर्देशित ‘भेड़िया’ (Bhediya) भी उसी तरह की फिल्म है। हालांकि अपने यहां मानव भेड़िया की कल्पना नहीं है। लेकिन ये फिल्म उसी शैली की एक शुरुआत है।
क्या है वरुण धवन (Varun Dhawan) की भेड़िया की कहानी?
लेकिन यहां अंतर भी हैं और वो ये कि इसमें हॉरर के साथ कॉमेडी भी है। बल्कि हॉरर (Horror) कम और हास्य अधिक। भास्कर (वरुण धवन) नाम का एक युवा, एक कंपनी के लिए सड़क बनवाने के लिए जमीन अधिग्रहण के मकसद से अरुणाचल जाता है। जिस जमीन का अधिग्रहण किया जाना है दरअसल वो जंगल है और जिसकी बड़े पैमाने पर कटाई के बाद ही सड़क बनना संभव है।
स्थानीय लोग अधिग्रहण के इस प्रयास का विरोध करते हैं लेकिन बात कुछ आगे बढ़ती है। इसी बीच भास्कर यानी वरुण धवन (Varun Dhawan) को एक भेड़िया काट लेता है। जिसके बाद वो रात में भेड़िया के रूप में लोगों को मारने लगता है। लेकिन कुछ ही चुनिंदा लोगों को। ऐसा क्यों होता इसी मुद्दे के रूप में फिल्म आगे बढ़ती है। कृति सैनन (Kriti Sanon) ने इस फिल्म में पालतू जानवरों के डॉक्टर की भूमिका निभाई है और वो भेड़िया के काटने पर भास्कर को घोड़ों को दिए जानेवाला सूई लगाती है। है न मजेदार बात।
रात के सीन, VFX है जानदार
फिल्म में रात में दिखने वाले जंगल के कई रोमांचंक दृश्य हैं। चूंकि फिल्म थ्रीडी में बनी है इसलिए भी रोमांच का प्रभाव बढ़ जाता है। ‘भेड़िया’ उत्तर पूर्व के राज्यों-असम,मेघालय,अरुणाचल प्रदेश आदि के प्रति बाकी भारत के अल्पज्ञान और पूर्वगर्हों को भी सामने लाती है और साथ ही आदिवासी या जनजातीय संस्कृति के प्रति सम्मान की जरूरत के प्रति भी संकेत करती है।
उससे भी आगे बढ़कर ये रेखांकित करती है कि आखिर जब स्थानीय लोग तथाकथित नहीं चाहते तो जबरदस्ती उनपर विकास का मॉडल थोपा क्यों जाता है? खासकर वो मॉडल जो जंगलों की अंधाधुंध कटाई करता है और प्रकति का नाश करता है। क्या हम प्रकृति को बचाते हुए विकास नहीं कर सकते?

