डायरेक्टर लक्ष्मण रामचंद्र उतेकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘छावा’ इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर छाई हुई है। हर दिन कोई ना कोई रिकॉर्ड तोड़ रही है। फिल्म के अभी दो हफ्ते भी पूरे नहीं हुए हैं और इसने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड्स तोड़ दिए। इसका टोटल कलेक्शन 350 करोड़ के पार हो चुका है। फिल्म में जहां छत्रपति संभाजी महाराज के रोल में विक्की कौशल और येसुबाई के किरदार में रश्मिका मंदाना की तारीफ हो रही है। वहीं, फिल्म में ऐसे कई कैरेक्टर्स हैं, जिन्होंने शानदार काम किया है और स्क्रीन पर छाप छोड़ी है। फिर चाहे बात कवि कलश के रोल में विनीत कुमार सिंह की हो या फिर औरंगजेब के किरदार में अक्षय खन्ना ही क्यों ना हो। लेकिन, क्या आप जानते हैं जिस तरह से अब अक्षय खन्ना की एक्टिंग को पसंद किया जा रहा है और उनकी बातें हो रही हैं इसके पहले कभी इस तरह से चीजें नहीं हुईं। 27 साल के करियर में एक्टर की अधिकतर फिल्में फ्लॉप रहीं, जिसकी वजह से इंडस्ट्री में उन्हें कमतर आंका गया। ऐसे में एक बार खुद एक्टर ने सफल और स्टार एक्टर पर बात की थी वो इसे कैसे देखते हैं और क्यों नहीं बन पाए। चलिए बताते हैं।
दरअसल, ‘छावा’ की रिलीज और सक्सेस के बीच अक्षय खन्ना का पुराने इंटरव्यू का वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रहा है। उनके इस इंटरव्यू वीडियो को Jarp Media के इंस्टाग्राम पेज से शेयर किया गया है। इसमें उनसे सवाल किया जाता है कि अक्षय एक्टर तो बन गए लेकिन स्टार नहीं बने? इस पर वो कहते हैं, ‘मैं अक्सर ये सोचता हूं कि समझो मैं बिजनेसमैन हूं और मेरा एक 500 करोड़ का बिजनेस है। अभी जब तक मैं रतन टाटा नहीं बनूंगा या फिर धीरू भाई अंबानी नहीं बनूंगा या अजीत प्रेम जी नहीं बनूंगा। क्या मैं सक्सेसफुल नहीं हूं। क्या जब तक मैं शाहरुख खान नहीं बनूंगा सक्सेसफुल नहीं बनूंगा? क्या मैं स्टार बना ही नहीं, क्या मैंने सक्सेस देखा ही नहीं?’
अक्षय खन्ना आगे कहते हैं, ‘हमारी 20 करोड़ की आबादी में 15-20 लोगों को मौका मिलता है फिल्मों में काम करने का बतौर लीड एक्टर। क्या फिर भी मैं सक्सेसफुल नहीं हूं।’
अक्षय खन्ना क्यों कहे गए अंडर रेटेड एक्टर?
अक्षय खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत साल 1997 में की थी। उनकी पहली फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ थी। इसमें वो पिता विनोद खन्ना के साथ नजर आए थे। भले ही उन्होंने स्टार पिता के साथ एक्टिंग में कदम रखा था लेकिन, उनका डेब्यू अच्छा नहीं रहा। उनकी फिल्म फ्लॉप रही थी। इसलिए, उनका डेब्यू भी फ्लॉप माना जाता है। हालांकि, इसके बाद उन्हें मल्टीस्टारर फिल्म ‘गदर’ में काम करने का मौका मिला। फिल्म 1997 में रिलीज हुआ और इसके लिए उन्हें बेस्ट फिल्मफेयर का बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड मिला। इसके बाद उनके पास फिल्मों के ऑफर आने लगे। लेकिन, इस बीच वो ज्यादा हिट फिल्मों में काम नहीं कर पाए। उनके 27 साल के करियर में फिल्में या तो फ्लॉप रहीं या फिर एवरेज रहीं। इस बीच केवल को 2 ही ब्लॉकबस्टर फिल्में दे पाए।
अक्षय खन्ना के फिल्मी करियर ग्राफ की बात करें तो उन्होंने 8 एवरेज और 3 सेमी हिट फिल्मों के साथ दो हिट फिल्म में काम किया है। इसमें उनके पास फ्लॉप फिल्मों की झड़ी रही। उनकी फ्लॉप फिल्मों की लंबी लिस्ट है। इसमें ‘हिमालय पुत्र’, ‘मोहब्बत’, ‘डोली सजा के रखना’, ‘कुदरत’, ‘लावारिश’, ‘दहक’, ‘बॉर्डर हिंदुस्तान का’, ‘एलओसी कारगिल’, ‘दीवार-लेट्स ब्रिंग आवर हीरोज होम’, ‘शादी से पहले’, ‘आप की खातिर’, ‘सलाम-ए-इश्क’, ‘नकाब’, ‘गांधी माय फादर’, ‘आजा नचले’, ‘शॉर्ट कट-द कोन इज ऑन’, ‘आक्रोश’, ‘नो प्रोब्लम’, ‘गली गली चोर है’, ‘मॉम’, ‘इत्तेफाक’, ‘सेक्शन 375’ और ‘सब कुशल मंगल’ जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं। फ्लॉप फिल्मों की लंबी लिस्ट होने की वजह से वो कभी सुपरस्टारडम तक नहीं पहुंच पाए और उन्हें अंडर रेटेड एक्टर का टैग मिल गया।
2012 के बाद लिया ब्रेक
जब अक्षय खन्ना के करियर में एक ठहराव आने लगा था तो उन्होंने साल 2012 में ब्रेक लेने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने फिर उसी एनर्जी के साथ कमबैक करने के बारे में सोचा और 2016 में ‘डिशूम’ से वापसी की। फिल्म खास नहीं रही लेकिन, उनकी गहराई से की गई एक्टिंग को लोगों ने काफी पसंद किया। इसके बाद वो 2017 में ‘इत्तेफाक’ में नजर आए। इसमें उनके साथ सोनाक्षी सिन्हा और सिद्धार्थ मल्होत्रा भी लीड रोल में थे। लेकिन, ये भी कुछ खास नहीं रही। फिर उन्हें साल 2019 में ‘सेक्शन 375’ में देखा गया। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय को सराहा गया। हालांकि, ये भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही। इसके बाद एक्टर 2022 में फिल्म ‘दृश्यम 2’ में दिखे। इसके जरिए वो अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। 2016 में कमबैक करने के बाद वो प्रभावशाली परफॉर्मेंस के लिए जरूर पहचाने गए।
लंबे इंतजार के बाद मिली ‘छावा’
फिर अक्षय खन्ना के करियर में वो समय भी आ गया, जब उन्होंने अपनी एक्टिंग से स्क्रीन पर कमाल ही कर दिया। ये मौका उन्हें फिल्म ‘छावा’ में मिला। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और स्क्रीन पर ऐसी छाप छोड़ने में सफल रहे कि ऐसी सफलता का स्वाद उन्होंने पूरे करियर में नहीं चखा था। इस फिल्म के जरिए उन्होंने अपने उस कथन को तोड़ा जब उन्हें लगने लगा था कि फिल्मों में पसंद किए जाने के लिए गुड लुकिंग होना भी मायने रखता है। इस मूवी के जरिए ना केवल इस कथन को झुटलाया बल्कि ये सच कर दिया कि दर्शक काम पसंद करते हैं। हालांकि, बाद में कई इंटरव्यूज में वो बोल चुके हैं कि अगर काम आता है और उसे दिखाने में स्क्रीन पर सफल होते हैं तो लोग पसंद भी करते हैं।