हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर विलेन रंजीत फिल्मों में इत्तेफाक से आ गए। फिल्मों में आने से पहले वो कोयम्बटूर में एयरफ़ोर्स की ट्रेनिंग कर रहे थे। रंजीत को फिल्म ‘शर्मीली’ में काम मिला और इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि भी मिली। इस फिल्म की सफलता ने उन्हें फिल्मों में प्रति आकर्षित किया और वो सब छोड़कर फिल्मों में काम पाने के उद्देश्य से मुंबई आ गए। रंजीत को मुंबई आने के बाद जिस फिल्म में काम मिला वो किन्हीं कारणों से बंद पड़ गई जिसके बाद उन्होंने मुंबई छोड़कर जाने का फैसला कर लिया था। इसी बीच सुनील दत्त ने उन्हें अपनी फिल्म, ‘रेशमा और शेरा’ में काम दे दिया।

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अपने उस दौर के बारे में रंजीत ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया, ‘मैं मुंबई आया और उसके दूसरे ही दिन सुनील दत्त से मिला, उनके साथ डिनर किया। मैं उन्हें बहुत पसंद आया। अगले दिन मेरी मुलाकात राज कपूर साहब से हुई। मैं पहली बार नीली आंखों और इतने सफ़ेद गाल वाले इंसान से मिला था। 15-20 दिनों के भीतर ही मैंने इंडस्ट्री के आधे लोगों से मुलाकात कर ली। दुर्भाग्य से रॉनी ने मेरी परिचय अपनी खोज के रूप में नहीं कराई और सबने मुझे उसका मददगार भर समझा। एक दिन अचानक उसने मुझसे कहा कि हम जो फिल्म बना रहे हैं वो बंद पड़ गई है।‘

फिल्म बंद होने के बाद रंजीत मुंबई छोड़ने वाले थे लेकिन एक दोस्त की मदद करने के लिए वो सुनील दत्त के ऑफिस चले गए। उन्होंने बताया, ‘मेरे एक दोस्त ने कहा कि मैं उसे दत्त साहब के प्रोडक्शन हाउस में कोई काम दिला दूं, इसी कारण मुंबई छोड़ने से पहले मैं उसे लेकर दत्त साहब के ऑफिस में गया। वहां पहुंचा तो मेनेजर ने बताया कि दत्त साहब मुझसे नाराज़ हैं क्योंकि वो पिछले कई दिनों से मुझे ढूंढ रहे हैं लेकिन मैं उन्हें मिल नहीं रहा। इस तरह मुझे ‘रेशमा और शेरा’ मिली थी।’

रंजीत ने अपनी दूसरी फिल्म की कहानी बताते हुए कहा, ‘उसके अगले ही दिन मुझे मोहन सहगल ने बुलाया और पूछा कि क्या मैं ‘सावन भादो’ में एक छोटा सा रोल करूंगा? मैंने हां कह दिया था। इस तरह बेक टू बेक दो फिल्मों में मैंने भाई का किरदार निभाया लेकिन फिर पूरी जिंदगी मैं लड़कियों के कपड़े खींचता रहा गया।‘

रंजीत ने बताया कि उन्हें सेट पर ‘रेप स्पेशलिस्ट’ कहा जाता था। वो कहते हैं कि इसमें कुछ भी वल्गर नहीं और और उन्हें अपने करियर से भी कोई शिकायत नहीं है। रंजीत ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि नेगेटिव इमेज का उनकी निजी जिंदगी पर भी असर हुआ। जब उन्होंने अपनी पहली फिल्म, ‘शर्मीली’ में नेगेटिव किरदार निभाया तब उनके घर वालों ने उन्हें घर से बाहर कर दिया था। उनके घर वाले सोचते थे कि वो सेट पर लड़कियों के साथ सच में बुरा बर्ताव करते हैं जबकि वो सेट पर बहुत मज़ाकिया हुआ करते थे।