उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वह अगले साल विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। हाल ही में ‘आजतक’ की एंकर चित्रा त्रिपाठी जनता का मूड जानने के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पहुंची थीं।
यहां चित्रा त्रिपाठी राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास से सवाल पूछती हैं, ‘क्या आपको भी लगता है कि योगी जी को यहां से चुनाव लड़ना चाहिए?’ इसके जवाब में सत्येंद्र दास कहते हैं, ‘पार्टी के लोग और वो अपने हिसाब से चुनाव लड़ने के लिए स्थान तय करेंगे। जहां तक अयोध्या की बात है तो अयोध्या एक मत में या एक पार्टी के अंतर्गत नहीं है। इसलिए मैं तो मुख्यमंत्री के प्रति समर्पित हूं। ऐसी स्थिति में उन्हें यहां से चुनाव लड़ने के सवाल पर विचार करना चाहिए।’
सत्येंद्र दास आगे कहते हैं, ‘योगी जी को गोरखपुर में ही किसी स्थान से चुनाव लड़ना चाहिए। अयोध्या की स्थिति भी अन्य जगहों जैसी है। वो यहां पर कुछ ऐसे काम करेंगे और कर रहे हैं, जिससे बहुत लोगों का नुकसान हो रहा है। इससे बहुत सारे लोग परेशान भी हैं। इसलिए उन्हें समस्याओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।’ ये वीडियो पूर्व IAS सूर्य प्रताप सिंह ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है।
वीडियो साझा करते हुए सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा, ‘अंजना ने बड़े साहब की अमेरिका में पोल खोली और चित्रा ने यूपी में योगी जी की पोल खोलने का टेंडर उठाया है। राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी को वह भक्त समझ रही थी जो उनके मन मुफ़ीद जवाब देते। पुजारी जी जब बोले, तो आजतक की टीम का चेहरा नीला पड़ गया।’
लोगों की प्रतिक्रिया: इस पर लोगों की भी अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है। एक यूजर ने लिखा, ‘उन्होंने तो असलियत बयां कर दी। संत लोग इस बात की बिल्कुल परवाह नहीं करते कि किसे क्या अच्छा लगेगा या क्या बुरा।’ यूजर राजकुमार यादव ने लिखा, ‘महंत जी ने तो कागज का ढोल फोड़ दिया।’ पंकज नाम के यूजर ने लिखा, ‘चित्रा दीदी, आपने ये सवाल पूछा ही क्यों था?’ यूजर रवि यादव लिखते हैं, ‘अब बहुत जल्द इन्हें कांग्रेस का एजेंट करार दिया जाएगा। अगर इससे बात नहीं बनी तो भक्त बनाकर छोड़ दिया जाएगा।’
बता दें, एक इंटरव्यू के दौरान अखिलेश यादव ने साफ कर दिया था कि वह अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और विधान परिषद के जरिए ही सदस्य बनेंगे। शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से गठबंधन पर उन्होंने कहा कि प्रसपा से गठबंधन में कोई मुश्किल नहीं है। उन्हें उनका सम्मान मिलेगा।