चुनावी नतीजों से पहले एग्जिट पोल्स के नतीजों के आने से सभी दलों में संभावित स्थिति को लेकर अपनी रणनीति पर चर्चाएं शुरू हो गई है। किस राज्य में कौन दल आगे जा रहा है और कौन पीछे छूट रहा है, इस पर आम जनता के साथ-साथ सियासी दलों के नेताओं और उनके रणनीतिकार एक्टिव हो गए हैं। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले ही पार्टी के रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय देहरादून पहुंच गए। पूछने पर कहा कि यह उनकी निजी यात्रा थी।

दूसरी तरफ गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य में खंडित जनादेश के अनुमान जताए जाने के एक दिन बाद मंगलवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। सावंत ने विधानसभा चुनाव जीतने और क्षेत्रीय दलों की मदद से राज्य में अगली सरकार बनाने का भरोसा जताया।

भाजपा रणनीतिकार कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से उनके आवास पर भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक से भी मुलाकात की। इसके अलावा उत्तराखंड मामलों के पार्टी प्रभारी प्रह्लाद जोशी तथा अन्य नेताओं के साथ भी विजयवर्गीय की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। चुनाव परिणाम आने से पहले ही विजयवर्गीय के प्रदेश में आगमन के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं और नेताओं के बीच बैठकों और विचार विमर्श के बढ़ते दौर को भाजपा के 36 सीटों के जादुई आंकड़े से दूर रहने की स्थिति में बहुमत जुटाने का फार्मूला निकालने का प्रयास माना जा रहा है।

अगर चुनावी नतीजों में खंडित जनादेश सामने आया और कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में से किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो निर्दलीय तथा बसपा, सपा और उत्तराखंड क्रांति दल के ‘विधायकों’ की सरकार बनाने में भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। माना जाता है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ कांग्रेस विधायकों की बगावत में विजयवर्गीय ने अहम भूमिका निभाई थी और अब उनके आने को इसी नजरिये से देखा जा रहा है।

उधर, गोवा में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत अपनी ओर से संभावित हालात पर चर्चा के लिए पीएम मोदी से मुलाकात कर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसे मुख्य दलों के साथ तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे। राज्य में भाजपा के कद्दावर नेता और चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद विधानसभा का यह पहला चुनाव है।

वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस 17 सीटें जीतने के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के समर्थन से उसे सत्ता से बाहर कर दिया था। वर्ष 2022 के चुनाव में महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था, जबकि गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया।

सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दावा कर रही हैं कि वे बहुमत का आंकड़ा प्राप्त कर लेंगी। साथ ही, दोनों दलों ने यह भी कहा है कि सीटें कम मिलने की स्थिति में वे दीपक धवलीकर के नेतृत्व वाले महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) से समर्थन मांगेंगे।