यादवपट्टी की सबसे अहम मानी जाने वाली इटावा संसदीय सीट आरक्षित होने के बाद भी कोई उम्मीदवार लगातार जीत हासिल नहीं कर सका है। साल 2009 में सामान्य से आरक्षित घोषित हुई सीट पर पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। उसके बाद से यह तीसरा चुनाव है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में इटावा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने हर बार नए चेहरे को जिता कर संसद भेजा है।
वर्ष 2009 में सपा के प्रेमदास कठेरिया, 2014 में भाजपा के अशोक दोहरे व 2019 में भाजपा के ही डा रामशंकर कठेरिया को जीत मिली थी। इस बार भाजपा के डा रामशंकर कठेरिया को छोड़कर सपा और बसपा ने इस बार नए चेहरों पर दांव लगाया है। इसमें भी बसपा प्रत्याशी सारिका सिंह बघेल पहले हाथरस से रालोद की सांसद रह चुकी हैं।
बात सपा की करें तो जितेंद्र दोहरे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पहले वह अपनी पत्नी को इटावा जनपद के ब्लाक महेवा का प्रमुख बनवा चुके हैं। महेवा को एशिया महाद्वीप का पहला ब्लाक होने का दर्जा प्राप्त है। इस बार सपा इंडिया गठबंधन में है। उसे कांग्रेस, आप व माकपा का सहयोग मिल रहा है। इस वजह से सपा की स्थिति मजबूत कही जा सकती है।
क्षेत्र की समस्याओं को समझने की कोशिश कर रहा हूं : निकम
मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी, अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने शनिवार को कहा कि आरोपी व्यक्तियों को प्रत्यर्पित कराने की प्रक्रिया लंबी और महंगी है तथा इस समस्या को दूर करने की जरूरत पर जोर दिया। निकम ने यह भी कहा कि राजनीति में आना उनके जीवन की दूसरी पारी है और उन्होंने इसे कानून की अदालत से ‘जनता की अदालत’ में जाने का एक कदम बताया।
उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण एक लंबी और महंगी प्रक्रिया है। विदेशी अदालतें हमारे साक्ष्यों का आकलन और मूल्यांकन करने के बाद प्रत्यर्पण पर अपने कानून के आधार पर निर्णय लेती हैं। इस समस्या को दूर करने की जरूरत है। मैं इस मुद्दे का अध्ययन कर रहा हूं। वकील से राजनीतिक नेता बने निकम ने नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है और बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर सुधार के अलावा उनकी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने की योजना है।