जानकी शरण द्विवेदी
कहते हैं कि चुनाव जीतने के लिए वैसे तो राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के बीच एक-दूसरे पर खूब आरोप लगाए जाते हैं, किंतु कई बार एक मामूली सी बात नतीजों को पलट देती है। आजादी के बाद हुए कई संसदीय चुनावों में देवीपाटन मंडल के गोंडा और बलरामपुर लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान कही गई मामूली सी बात काफी मजबूत दिखने वाले प्रत्याशियों पर भारी पड़ गई और उन्हें आसानी से जीतती प्रतीत हो रही सीट गंवानी पड़ी।
बात 1962 की है। तब बलरामपुर (वर्तमान में श्रावस्ती) सीट गोंडा जिले का हिस्सा थी। यहां से अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में पहली बार जनसंघ से लोकसभा पहुंचे थे। वे लगातार दूसरी बार मैदान में थे। लंबे अर्से तक जनसंघ और फिर भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे अटल के मित्र दुलीचंद जैन के बेटे महेंद्र जैन अपने पिता से सुनी गई घटनाओं को याद करते हुए बताते हैं कि अटल से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने हरियाणा के अंबाला और करनाल से सांसद रह चुकीं सुभद्रा जोशी को मैदान में उतारा था। पिछला चुनाव जीत चुके अटल बिहारी वाजपेयी में उत्साह था, जबकि सुभद्रा नई प्रत्याशी थीं। अपनी जीत के प्रति आश्वस्त होने के बावजूद अटल प्रचार में जुट गए।
सुभद्रा ने भी पूरी ताकत झोंकी। एक दिन जनसभा में सुभद्रा जोशी ने मतदाताओं से वादा किया कि यदि वे जीतीं, तो पूरे माह जनता के बीच उपस्थित रहकर उनकी सेवा करेंगी। इस पर अटल ने एक सभा में जनता से प्रश्न कर लिया कि सुभद्रा, आप लोगों से किया वादा निभाएंगी कैसे? महीने में चार-पांच दिन तो महिलाएं सेवा करने लायक रहती ही नहीं।
बताते हैं कि इस अपमान का घूंट पीकर भी सुभद्रा ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से नहीं किया, बल्कि मतदाताओं के मध्य घूम-घूमकर वह अटल को उनके इस वक्तव्य के लिए सजा देने की अपील करने लगीं। महिला मतदाताओं पर इस भाषण का असर पड़ा और अटल जीता हुआ माना जा रहा यह चुनाव दो हजार वोटों से हार गए।
फिल्म दो बीघा जमीन के नायक बलराज साहनी ने पहली बार इस चुनाव में प्रचार करके चुनावों में फिल्मी सितारों के प्रचार का भी आगाज कर दिया था। कुछ लोगों का मानना है कि ‘स्टार फैक्टर’ ने भी चुनाव को काफी प्रभावित किया। पं दीनदयाल उपाध्याय की जिद पर अटल को राज्यसभा भेजा गया किंतु इसे वह भूल नहीं पाए। इस हार से वह अंदर तक हिल गए थे, परंतु चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने बलरामपुर आना-जाना जारी रखा। बाद में 1967 के आम चुनाव में उन्होंने सुभद्रा जोशी को 32 हजार से अधिक मतों से पराजित किया।