यूपी चुनाव में क्या होगा, इस पर पूरे देश की नजर रहेगी। इसमें अगर बीजेपी की हार हो गई तो यह इस चुनाव का एक मात्र चौंकाने वाला परिणाम होगा। 2104 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन देखते हुए यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। उस प्रदर्शन को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि अगर भाजपा को यूपी में 200 से कम सीटें आईं तो इसका साफ मतलब होगा कि 2014 में उसे वोट देने वालों ने इस बार अपना मन बदल लिया। यूपी में पिछले छह में से पांच विधानसभा चुनावों और 2002 के बाद हुए राष्ट्रीय चुनाव में यह ट्रेंड रहा है कि दो क्षेत्रीय पार्टियों को ज्यादा वोट मिले हैं। इनके वोट दो राष्ट्रीय पार्टियों (भाजपा और कांग्रेस) को मिले कुल वोट से भी ज्यादा रहे हैं। इसका अपवाद एक मात्र 2014 ही रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी की 71 सीटें जीतीं। 403 में से 321 विधानसभा क्षेत्र में उसे बाकियों से ज्यादा वोट मिले। 1977 के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि 80 फीसदी से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में किसी एक पार्टी की जीत हुई। भाजपा ने न केवल 81 फीसदी विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की, बल्कि जीत का अंतर भी शानदार रखा। यूपी में हमेशा चौतरफा मुकाबला रहा है। ऐसी सूरत में 25-30 फीसदी वोट पाकर ही जीत सुनिश्चित की जा सकती है। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 403 में से 253 विधानसभा क्षेत्रों में 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। 94 विधानसभा क्षेत्रों में उसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।
2002 विधानसभा चुनाव और इसके बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में यूपी में सपा ने जीत दर्ज की थी। 2007 में विधानसभा चुनाव बसपा ने जीता और इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भी उसका प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था। इस बार क्या होगा,यह तो 11 मार्च को नतीजों की घोषणा के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल चुनाव की घोषणा के साथ ही उत्तर प्रदेश मे आचार संहिता लागू हो गई है। राज्य की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव कराया जाएगा।
नोटबंदी के बाद पहली बार राज्य में चुनाव होंगे, ऐसे में इस फैसले का बीजेपी की उम्मीदों पर कितना असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। साथ ही फैसले से चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर जो रोक लगने की बात कही जा रही है, उसका परीक्षण भी हो जाएगा।