अब यह लगभग साफ हो चुका है कि उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाथों से निकल गया है। चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव और चाचा शिवपाल यादव को राजनीतिक पटकनी तो दे दी, लेकिन आखिरी मुकाबला वह हार गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सपा के कद्दावर नेता बन कर उभरे अखिलेश अपने मुख्यमंत्री आवास 5, कालीदास मार्ग पर कुछ खास सलाहकारों और वफादरों के संग बैठक करते थे। उनके ये सलाहकार अब फेल हो गए हैं। आइए नजर डालते हैं कि अखिलेश के करीबी सलाहकारों में कौन लोग शामिल हैं।
1- रामगोपाल यादव- राज्य सभा सांसद – सपा परिवार के झगड़े में अगर मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल यादव थे तो अखिलेश यादव के साथ रामगोपाल यादव। मुलायम सिंह यादव ने कई बार कहा कि अखिलेश को रामगोपाल ने बहकाया है। शिवपाल यादव ने उन पर भाजपा के इशारे पर सपा को तोड़ने का आरोप लगाया। वहीं रामगोपाल ने शिवपाल के करीबी अमर सिंह पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। अखिलेश की मुलायम-शिवपाल पर जीत के साथ ही ये तय हो गया कि सपा के अंदर अखिलेश के बाद जो हैं रामगोपाल ही हैं।
2- आमोद कुमार– मुख्यमंत्री के सचिव- यूपी के नौकरशाह आमोद कुमार आईटी कानपुर से बीटेक और जापान के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपिंग इकोनॉमिज से पीजी डिप्लोमा हैं। आमोद को 2004 के मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री काल से सपा के करीबी माने जाते हैं। आमोद कुमार को यूपी में ई-गवर्नेंस से जुड़ी योजनाओं का सूत्रधार माना जाता है। हाल ही में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में में सचिव नियुक्त किया गया था। माना जाता है कि अखिलेश सरकार की समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं की निगरानी उनका मुख्य दायित्व है।
3- शिव नाडर, हिंदुस्तान कम्प्यूटर के संस्थापक- माना जाता है कि अखिलेश यादव इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और शिक्षा क्षेत्र में शिव नाडार के काम से काफी प्रभावित हैं। नाडार को 100 एकड़ में लखनऊ आईटी सिटी बनाने का जिम्मा दिया गया है। माना जाता है कि अखिलेश की आईटी हब की योजना लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे और लखनऊ मेट्रो रेल की तरह काफी प्रिय है।
4- अभिषेक मिश्रा, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास मंत्री, यूपी- यूपी के पूर्व नौकरशाह के बेटे अखिलेश मिश्रा अखिलेश यादव से साल 2012 से जुड़े हैं। माना जाता है कि राज्य में निवेश लाने के लिए सीएम अखिलेश उन पर काफी भरोसा करते हैं। मुलायम-शिवपाल धड़े से जोर आजमाइश में भी अखिलेश ने अभिषेक की सलाह को काफी तवज्जो दी।
5- किरणमय नंदा, राज्य सभा सांसदऔर सपा उपाध्यक्ष- मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाने वाले किरणमय ने यादव परिवार के अंदरूनी युद्ध में अखिलेश खेमे में नजर आए। नंदा उन चंद वरिष्ठ सपा नेताओं में थे जो खुलकर अखिलेश के साथ आए। नंदा लेफ्ट बंगाल सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य के तौर वाम मोर्चा सरकार में मत्स्य पालन मंत्री रहे हैं। उनकी पार्टी का 1996 में सपा में विलय हो गया था।
6- राजेंद्र चौधरी, सपा के प्रवक्ता- टीवी पर जब भी अखिलेश यादव नजर आते हैं तो ज्यादातर मौकों पर राजेंद्र चौधरी उनके पीछे या दाएं-बाएं खड़े दिख जाते हैं। राजनीतिक गलियारों में कुछ लोग उन्हें अखिलेश यादव की परछाईं कहते हैं। मुलायम सिंह यादव के भी बेहद करीबी रहे चौधरी टीम अखिलेश के अहम सदस्य माने जाते हैं।
7- वेंकट चंगावल्ली, यूपी सरकार के गृह और स्वास्थ्य सलाहकार- वेंकट एनआईटी वारंगल से बीटेक और आईआईएस अहमदाबाद से एमबीए हैं। वेंकट ने हैदबराबाद के इमरजेंसी मैनेजमेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (ईएमआरआई) में रहने के दौरान 2005 में आपातकालीन ऐंबुलेंस सेवा के लिए “डायल 108” की शुरुआत की थी। बुलंदशहर में मां और बेटी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद अखिलेश सरकार ने आपातकालीन पुलिस मदद के लिए “डायल 100” की शुरुआत की। हैदराबाद में रहने वाले वेंकट साल 2014 में यूपी के नौकरशाह आमोद कुमार के माध्यम से अखिलेश के संपर्क में आए थे। एम कुरुणानिधि और बीएस येदयुरप्पा जैसे मुख्यमंत्रियों को भी वेंकट सलाह दे चुके हैं। माना जाता है कि अखिलेश प्रशासन, सामाजिक कार्यक्रमों और आर्थिक नीतियों के मामले में उन पर काफी भरोसा करते हैं।