उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चार फरवरी से आठ मार्च के बीच विधान सभा चुनाओं के लिए मतदान होंगे। चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक अटकलबाजियों के दौर चालू हो गये हैं। जिन पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव होने हैं उनमें से ज्यादा उत्तर प्रदेश (यूपी) की चर्चा है। देश के संभवतः सर्वाधिक राजनीतिक रसूख वाले सूबे में अगली सरकार किसकी बनेगी इसे लेकर राजनीतिक पंडितों के बीच माथापच्ची जारी है। 2014 के लोक सभा चुनाव में यूपी की जनता ने जिस अप्रत्याशित तरीके से भाजपा गठबंधन को वोट दिया उसके बाद से ही राज्य के आगामी विधान सभा चुनाव के त्रिकोणीय होने के आसार जताए जाने लगे थे। अब जब चुनावी तारीखों की घोषणा हो चुकी है तो आइए देखते हैं कि यूपी में किस चुनाव में किस पार्टी को कितने प्रतिशत वोट मिले थे।
2014 लोक सभा चुनाव- पिछले लोक सभा चुनाव में राज्य में सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन भाजपा का रहा। पार्टी को सूबे के 42.63 प्रतिशत मतदाताओं का वोट मिला। राज्य की 80 संसदीय सीटों में से 73 पर भाजपा गठबंधन को जीत मिली। 2014 के लोक सभा चुनाव में वोट पाने के मामले में दूसरे नंबर पर सपा रही। उसे 22.35 प्रतिशत वोटों के साथ महज पांच सीटों पर जीत मिली। पिछले लोक सभा में मुलायम सिंह यादव परिवार के बाहर का कोई भी व्यक्ति यूपी में पार्टी के टिकट पर सांसद का चुनाव नहीं जीत सका। राज्य की सत्ता की प्रबल दावेदार मानी जा रही बसपा प्रमुख मायावती के लिए पिछला चुनाव सबसे ज्यादा निराशाजनक रहा था। उनका वो प्रतिशत तो 19.77 रहा लेकिन पार्टी राज्य में एक भी संसदीय सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी। वही कांग्रेस को 7.53 प्रतिशत वोटों के साथ दो सीटों पर जीत मिली थी
2012 विधान सभा चुनाव- सभी को चौंकाते हुए सपा ने 29.13 प्रतिशत वोट हासिल करके राज्य में बहुमत हासिल कर सरकार बनायी। सपा को राज्य की 403 विधान सभा सीटों में से 224 पर जीत मिली। बसपा को 80, भाजपा को 47 और कांग्रेस को 28 सीटों पर विजय मिली। शेष सीटें अन्य को गईं। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने खुद मुख्यमंत्री न बनते हुए अपने बेटे अखिलेश को सीएम बनवाया। वहीं वोट पाने के मामले में दूसरे नंबर पर बसपा रही जिसे 25.91 प्रतिशत वोट मिले। 2012 के विधान सभा चुनाव में भाजपा को 15 प्रतिशत वोट और कांग्रेस को 11.65 प्रतिशत वोट मिले थे।
2009 लोक सभा चुनाव- 2009 के लोक सभा चुनाव में राज्य में सबसे अधिक 27.20 प्रतिशत वोट बसपा को मिले थे। संसदीय चुनाव में वोट पाने के मामले में दूसरे नंबर पर सपा रही जिसे 23.26 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा को 17.50 प्रतिशत वोट और कांग्रेस को 11.65 प्रतिशत वोट मिले। 2009 चुनाव में भाजपा को तब बड़ी निराशा हुई जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस गठबंधन दोबारा केंद्र में सरकार बनाने में सफल रहा। 2009 के लोक सभा चुनाव में सूबे की 80 सीटों में से सपा को 23, कांग्रेस को 21, बसपा को 20, भाजपा को 10 और रालोद को पांच सीटों पर जीत मिली थी।
2007 विधान सभा चुनाव- इस चुनाव में वोट पाने के मामले में बसपा सबसे आगे रही। पार्टी को 30.43 प्रतिशत वोटों के साथ 206 सीटों पर जीत मिली और मायावती राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। 2007 के विधान सभा चुनाव में वोट प्रतिशत और सीट दोनों मामले में दूसरे नंबर पर सपा रही। सपा ने 25.43 प्रतिशत वोट के साथ 97 सीटों पर विजय हासिल की। वहीं भाजपा को 51 और कांग्रेस को 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। भाजपा को 16.97 प्रतिशत और कांग्रेस को 8.61 प्रतिशत वोट मिले थे।
2004 लोक सभा चुनाव- 2004 का लोक सभा चुनाव भाजपा के लिए दिल तोड़ने वाला साबित हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के करीब छह साल प्रधानमंत्री रहने के बाद जब आम चुनाव हुए तो पार्टी को उम्मीद थी कि अबकी बार वो बहुमत सरकार बनाएगी लेकिन चुनावी नतीजे इसके ठीक उलट निकले। यूपी में भी पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 2004 के लोक सभा चुनाव में सपा को 26.74 प्रतिशत वोट, बसपा को 24.67 प्रतिशत वोट, भाजपा को 22.17 प्रतिशत वोट और कांग्रेस को 12.04 प्रतिशत वोट मिले। राज्य की 80 संसदीय सीटों में से सपा को 35, बसपा को 19, भाजपा को 10 और कांग्रेस को नौ सीटों पर जीत मिली। शेष सात सीटें अन्य मिलीं।
2002 विधान सभा चुनाव- इस चुनाव में राज्य में वोट प्रतिशत और सीटों दोनों लिहाज से सपा पहले स्थान पर रही थी। सपा को 25.37 प्रतिशत वोटों के साथ 143 सीटों पर जीत मिली। बसपा को 23.06 प्रतिशत वोट मिले और 98 सीटों पर जीत हासिल हुई। भाजपा दोनों मामलों में तीसरे नंबर की पार्टी रही। उसे 20.08 प्रतिशत वोट के साथ 88 सीटों पर विजय मिली। कांग्रेस को 8.96 प्रतिशत वोट और 25 सीटों पर जीत मिली।

