सात चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है और तीसरे चरण में रविवार को 69 सीटों पर मतदान होने हैं। इस चरण में समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले इटावा और आसपास की सीटों पर चुनाव है। एक तरफ अखिलेश यादव जहां इस चरण में 55 सीटों पर फिर से कब्जा करने की कोशिश में हैं वहीं भाजपा समाजवादियों के गढ़ में घुसपैठ करने की फिराक में है। भाजपा ने इसके लिए जोर लगा दिया है। इस बार पार्टी ने यूपी चुनावों में जीत हासिल करने के लिए स्टार प्रचारकों की लंबी फौज उतारी है। जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा तमाम केन्द्रीय मंत्रियों की लंबी लिस्ट है। उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले सभी 16 केंद्रीय मंत्री अपने-अपने इलाकों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं ताकि बड़ी संख्या में मतदाताओं को अपने पाले में किया जा सके।
यूपी में जीत सुनिश्चित कराने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं के अलावा कुछ क्षेत्रीय नेताओं पर दारोमदार टिका है। इनमें सबसे पहला नाम प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का है। कहा जाता है कि केशव प्रसाद मौर्या जमीनी नेता हैं। उन्होंने खेती भी की है और चाय भी बेची है। पिछले साल अप्रैल में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें यूपी की कमान सौंपी थी। इसके बाद 47 वर्षीय मौर्या ने प्रदेश कार्यकारिणी का गठन किया जिसमें अधिकांश नेता 50 साल से कम उम्र के हैं। लक्ष्मीकांत बाजपेयी से ये पद लेकर मौर्या को दिया गया था। मौर्या पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं और माना जा रहा है कि उनकी वजह से गैर यादव पिछड़ी जातियों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो सकता है।
भाजपा के दूसरे बड़े झंडाबरदार चेहरा प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश त्रिवेदी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी वे चहेते माने जाते हैं। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले त्रिवेदी का काशी और आसपास के इलाकों में अच्छा खासा प्रभाव है। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की जीत तय कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। त्रिवेदी ने काशी के आसपास के 14 जिलों में करीब 26 लाख लोगों को भाजपा का सदस्य बनाया था। सिर्फ वाराणसी महानगर में ही उन्होंने 5.2 लाख कार्यकर्ता बनाए थे। वाराणसी के अलावा, जौनपुर, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, चंदौली में उनकी मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है।
भाजपा के तीसरे बड़े चेहरे कौशलेन्द्र सिंह पटेल हैं। ये पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में मंत्री हैं। पूर्व में ये वाराणसी के मेयर रह चुके हैं। पटेल भी पिछड़ी जाति से संबंध रखते हैं। काशी क्षेत्र में पिछड़े समाज के मतदाताओं पर इनकी खास पकड़ मानी जाती है। युवाओं के बीच भी कौशलेन्द्र सिंह पटेल की खासी पकड़ है। इस बार यूपी में 18 से 35 साल के मतदाताओं की कुल संख्या एक तिहाई है।
भाजपा की जीत सुनिश्चित कराने का दारोमदार महेश चंद श्रीवास्तव पर भी है। श्रीवास्तव भी प्रदेश कार्यकारिणी में मंत्री हैं। संघ और संगठन के बीच महेश चंद श्रीवास्तव सेतु का काम करते रहे हैं। आरएसएस कार्यकर्ताओं पर उनकी अच्छी पकड़ है। ये संघ के चहेते भी हैं। इसका अलावा शहरी क्षेत्रों के कायस्थ वोटरों के बीच भी इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। श्रीवास्तव खुद भी कायस्थ समाज से आते हैं।
भाजपा के लिए शंकर गिरि भी संजावनी की तरह काम कर रहे हैं। शंकर गिरि भी प्रदेश मंत्री हैं। यूपी चुनावों की घोषणा से पहले ही प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने बूथ लेवेल पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई थी। इसमें शंकर गिरि ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इसलिए माना जा रहा है कि बूथ स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने में इनकी बड़ी भूमिका है।
इनके अलावा नव निर्वाचित राज्य सभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ला से भी पार्टी को बड़ी उम्मीद है। गोरखपुर के रहने वाले शुक्ला को 2012 में यूपी भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया था। कानून स्नातक शुक्ला को पार्टी ने 1996-98 के बीच यूपी सरकार में राज्य मंत्री बनाया था। उन्हें राजनाथ सिंह की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले शुक्ला की गोरखपुर और आसपास अच्छी पकड़ है। वे पार्टी के सीनियर नेता हैं और गंगा समग्र यात्रा तथा जन स्वाभिमान यात्रा जैसे कई रथ कार्यक्रमों के सफल संचालन का अनुभव है।
इन नेताओं के अलावा बसपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्य और पार्टी के अन्य प्रदेश उपाध्यक्षों प्रकाश शर्मा, बाबूराम निषाद, राम नरेश रावत, जसवंत सैनी, कान्ता कर्दम और जेपीएस राठौर की भी बड़ी भूमिका है। केन्द्रीय मंत्रियों में स्मृति ईरानी, उमा भारती, संतोष गंगवार, मुख्तार अब्बास नकवी, कृष्णा राज, अनुप्रिया पटेल, वी के सिंह, कलराज मिश्रा, मेनका गांधी, संजीव बल्यान और योगी आदित्यनाथ, ओमप्रकाश माथुर भी ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कर रहे हैं।