लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र के आशियाना इलाके में वनस्थली पार्क के बाहर एक अंडर ग्रेजुएट छात्र शिवम कनौजिया सड़क के किनारे चाय की दुकान चलाते हैं। उनके पिता जो कि एक भाजपा के कार्यकर्ता थे पिछले साल अप्रैल में कोरोना के कारण उनकी मृत्यु हो गई। अब 22 साल की उम्र में उन पर मां और बहन की देखभाल करने और घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी है।

कनौजिया का कहना है कि उनके पिता ने अपना पूरा जीवन भाजपा को समर्पित कर दिया। लेकिन जब उनकी मृत्यु हुई तो पार्टी से कोई भी शोक व्यक्त करने नहीं आया। जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता उनके पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। विधानसभा चुनाव 2022 के मतदान को लेकर कनौजिया का कहना है कि “उनका वोट निष्पक्ष होगा। वह प्रत्याशी की सार्वजनिक छवि और पार्टी के दृष्टिकोण के आधार पर उम्मीदवार का चयन करेंगे”

शिवम कनौजिया के चचेरे भाई हिमांशु का कहना है। कि “भाजपा के अलावा कोई भी पार्टी” आगे उनका कहना है कि “हमारी बहन जैसी दलित लड़की की बॉडी को हाथरस में आधी रात को जला दिया गया। भाजपा का यह तानाशाही रवैया है” हिमांशु को बीच में रोकते हुए उनकी छोटी बहन स्नेहा बोलती है कि “सपा सरकार के दौरान सड़कों पर गुंडागर्दी हुई। आज मैं विश्वविद्यालय जाने और शाम के बाद सड़क पर चलने में भी सुरक्षित महसूस करती हूं। यह (सीएम) योगी जी की वजह से हुआ। मैं भाजपा के दो नेताओं – मोदी जी और योगी जी का समर्थन करती हूं” स्नेहा लखनऊ विश्वविद्यालय में एक अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट है।

सरोजनी नगर विधानसभा पर चौथे चरण में 23 फरवरी को मतदान होना है। यहां पर 5.5 लाख से ज्यादा मतदाता है। जिनमें मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में है। इसके बाद दलित ब्राह्मण ठाकुर यादव और अन्य पिछड़ी जातियां हैं। 2017 में यहां पर भाजपा की स्वाति सिंह ने जीत हासिल की थी। हालांकि इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है और यहां से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व निदेशक राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है। बता दें, राजेश्वर सिंह ने वीएसआर लेकर इसी साल अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की है।

सरोजिनी नगर विधानसभा को जीतने के लिए भाजपा की कोशिश अपने प्रत्याशी और पूर्व प्रवर्तन निदेशालय निदेशक राजेश्वर सिंह की छवि एक फियरलेस पुलिसवाले वाले के रूप में जनता के सामने प्रस्तुत करने की है। जो जनता की समस्याओं को आसानी से सुलझा सके। जिसके लिए भाजपा इलाके में एक बुकलेट भी बांट रही है। जिसका शीर्षक है “राजेश्वर सिंह खाकी से खादी तक”।

सरोजनी नगर विधानसभा को लेकर भाजपा के चंद्रावल के बूथ अध्यक्ष अशोक निर्मल का कहना है कि “विधानसभा में 55 ग्राम पंचायत आती है। ग्रामीण इलाकों में उनके (एमएलए स्वाति सिंह) के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी हैं। स्वाति सिंह ने कभी ग्रामीण इलाकों का दौरा नहीं किया। हम नुकसान को कम करने के लिए वहां और अधिक व्यापक अभियान चला रहे हैं।”

भाजपा विधायक के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी होने के बावजूद भी इस बार मुकाबला काफी दिलचस्पी दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता जो पिछली अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने सपा से टिकट ना मिलने के बाद भाजपा में शामिल हो गए है। जबकि बसपा के पूर्व विधायक शिव शंकर सिंह भी सपा से टिकट ना मिलने के कारण भाजपा में शामिल हो गए हैं। दोनों स्थानीय नेताओं की इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

आपको बता दें, सरोजनी नगर कभी भी भाजपा का गढ़ नहीं रही है। 2017 में मोदी लहर के दौरान पहली बार भाजपा को यहां पर कामयाबी मिली थी। 1991 से सरोजनी नगर विधानसभा पर तीन बार समाजवादी पार्टी, दो बार बीएसपीऔर एक बार कांग्रेस को कामयाबी मिल चुकी है।