बिहार में पुराने दौर की राजनीति में चुनावी मुकाबला तीन या इससे ज्यादा पार्टियों के बीच देखने को मिलता था। वहीं, इस बार बिहार चुनाव को बाहर से देखने वालों को यह मुकाबला दो अलायंस- एनडीए और महागठबंधन के बीच सिमटता दिख रहा है। दरअसल, राज्य की सभी बड़ी पार्टियां इन्हीं दो गठबंधनों का हिस्सा बन चुकी हैं। खासकर भाजपा-जदयू और राजद-कांग्रेस। ऐसे में बाकी पार्टियों के लिए जगह काफी कम बचती है। हालांकि, इसके बावजूद रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने न सिर्फ ओवैसी की पार्टी AIMIM और मायावती की बसपा समेत छह अलग-अलग पार्टियों का गठबंधन बनाया है, बल्कि जीत के कम मौके होने के बावजूद राजनीतिक गलियारों की सरगर्मी बढ़ा दी है।

उपेंद्र कुशवाहा ने जिस ग्रांड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (GDSF) नाम के गठबंधन को चुनाव से ठीक पहले लॉन्च किया है, उसका हिस्सा रही पार्टियों (RLSP, AIMIM, BSP, समाजवादी जनता दल, लोकतांत्रिक, सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी, जनतांत्रिक पार्टी- यूपी) ने पहले चरण की 71 सीटों में से 62 पर चुनाव प्रचार किया है। माना जाता है कि यह छह पार्टियां 10 फीसदी वोट हासिल करने का दम रखती हैं और अगर एनडीए-महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होता है, तो जीडीएसएफ किंगमेकर के तौर पर भी उभर सकती है।

बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जहां रालोसपा ने 3.6 फीसदी वोट और दो सीटें हासिल की थीं, वहीं बसपा ने दो फीसदी वोटों पर कब्जा जमाया था, हालांकि पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी। लेकिन इस बार गठबंधन में चुनाव लड़ने से इन पार्टियों के वोट प्रतिशत पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। जहां रालोसपा इस बार 243 में से 104 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है, वहीं बसपा 80 सीटों पर लड़ रही है। AIMIM ने भी अपने लिए 20 सीटें निर्धारित की हैं।

बताया जाता है कि रालोसपा औरंगाबाद, कैमूर, रोहतास, पूर्वी चंपारण, बक्सर, शेखपुरा, जमुई और मुंगेर में अच्छा प्रभाव रखती है। वहीं AIMIM सीमांचल के इलाकों में कुछ सीटें हासिल कर सकती है। मुस्लिम वोटों के ओवैसी की पार्टी के साथ जाने की वजह से राजद, कांग्रेस और जदयू को इन इलाकों में नुकसान हो सकता है। दूसरी तरफ बसपा की रोहतास, कैमूर, गोपालगंज और यूपी सीमा से लगे जिलों की करीब आधा दर्जन सीटों पर अच्छी पकड़ है।

बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती और उपेंद्र कुशवाहा अब तक बसपा के मजबूती वाले करगहर और भभुआ में रैली कर चुके हैं। इसके अलावा कुशवाहा ने ओवैसी के साथ 18 साझा चुनावी बैठकें की हैं। रालोसपा महासचिव राहुल कुमार के मुताबिक, कम से कम 40-45 सीटों पर हमें 5 हजार से 35 हजार वोट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि वे सीधे तौर पर जदयू को निशाना बना रहे हैं, क्योंकि उनकी निगाह कोरी, कुर्मी और धनुक आबादी वाली सीटों पर है। खुद सीएम नीतीश कुमार कुर्मी हैं।