उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा समेत तमाम पार्टियों नो जाति के आधार पर टिकट बांटकर लोगों को साधने की कोशिश की। 10 मार्च को नतीजे आए तो पता चला कि सबसे ज्यादा ब्राह्मण प्रत्याशियों को जीत मिली। इसके बाद ठाकुर रहे। यही नहीं यादवों से ज्यादा कुर्मी विधानसभा पहुंचे हैं।

ब्राह्मण प्रत्याशियों का दबदबा- उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों में से 52 पर ब्राह्मण प्रत्याशियों को जीत मिली। भाजपा से सबसे ज्यादा 46 ब्राह्मण प्रत्याशियों को जीत मिली। वहीं सपा से पांच और कांग्रेस से एक ब्राह्मण प्रत्याशी को जीत मिली। ठाकुर समुदाय की बात करें तो 49 में 43 भाजपा और इसके गठबंधन वाली पार्टियों के टिकर पर चुनाव लड़ने वाले ठाकुरों को जीत मिली। इसके अलावा सपा से चार और बसपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली और जीतने वाला कैंडिडेट उमाशंकर सिंह ठाकुर हैं। इसके अलावा जनसत्ता पार्टी से राजा भैया को जीत मिली।

ओबीसी समुदाय में कुर्मियों का बोलबाला- ओबीसी समुदाय की बात करें तो इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में सबसे ज्यादा कुर्मी उम्मीदवार जीते। उनकी आबादी यादवों से कम है। 41 कुर्मी उम्मीदवारों को विधानसभा चुनाव में जीत मिली। इनमें से सबसे ज्यादा 27 भाजपा+ से हैं। 13 को सपा+ और एक को कांग्रेस की टिकट पर जीत मिली है। यादव समुदाय की बात करें तो इस कुल 27 यादव प्रत्याशियों को जीत मिली है। इनमें से 24 सपा और तीन भाजपा की टिकट पर चुनाव जीत हैं।

गैर यादव ओबीसी – गैर यादव ओबीसी में भाजपा प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। सैनी, मौर्य, शाक्य और कुश्वाहा समुदाय से भाजपा से 12 प्रत्याशी जीते हैं। सपा के केवल दो ही उम्मीदवार जीते हैं। इसके अलावा गैर यादव ओबीसी समुदाय से छह और उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर जीते हैं। सपा+ एक उम्मीदवार को जीत मिली है।

दलितों में भाजपा का जलवा- इसी तरह दलित उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा का जलवा देखने को मिलेगा। पार्टी से जाटव समुदाय के सबसे ज्यादा प्रत्याशी जीते हैं। 19 को भाजपा और 10 को सपा+ की टिकट पर जीत मिली है। इसके अलावा भाजपा की टिकट पर 18 पासी और सपा से आठ और जनसत्ता पार्टी से एक पासी उम्मीदवार जीता है।

वैश्य समुदाय- वैश्य समुदाय में भी भाजपा का जलवा देखने को मिला है। भाजपा की टिकट पर 22 बनिया और 21 खत्री समुदाय के उम्मीदवार जीते हैं। एक को सपा की टिकट पर जीत मिली है। लोध समुदाय के 18 में से 15 उम्मीदवार भाजपा की टिकट पर जीते हैं। सपा से तीन को जीत मिली है।

राजभर समाज में सपा+ का कब्जा- सपा गठबंधन से राजभर समुदाय के तीन उम्मीदवारों को जीत मिली है। भाजपा की टिकट पर इस समुदाय के एक उम्मीदवार को जीत मिली है। पांच में चार भूमिहार उम्मीदवार भाजपा और एक सपा की टिकट पर चुनाव जीता है।

जाट समुदाय से भाजपा के आठ और सपा+ के सात उम्मीदवार जीते- जाट समुदाय की बात करें तो सपा और भाजपा दोनों से लगभग बराबर उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। कुल 15 में आठ भाजपा और सात सपा की सीट पर जीते हैं। वहीं दलित समुदाय की बात करें तो धोबी बिरादरी के चार उम्मीदवार जीते हैं, सभी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे। खटीक समाज से चार भाजपा और एक सपा उम्मीदवार जीता है। तीन कायस्थ उम्मीदवारों को जीत मिली है, सभी भाजपा की टिकट पर जीते हैं। वाल्मीकि और सिख समुदाय के एक-एक उम्मीदवार जीते हैं। दोनों भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे।

2017 के मुकाबले मुस्लिम उम्मीदवार इस बार ज्यादा जीते- 2017 के मुकाबले मुस्लिम उम्मीदवार इस बार ज्यादा जीते हैं। 2017 में जहां 24 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे,तो वहीं इस बार इनकी संख्या 34 हो गई है। सभी सपा और उसके गठबंधन वाली पार्टियों की टिकट पर चुनाव लड़े थे।