मुस्लिम वोटर्स को लेकर आम धारणा है कि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ वोट करेंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में पार्टी को आठ प्रतिशत मुस्लिमों ने वोट दिया। यह 2017 की विधानसभा चुनाव से एक फीसदी ज्यादा है। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में यह बात सामने आई है। समाजवादी पार्टी को इस समुदाय के लगभग 70 प्रतिशत वोट मिले हैं।
मुस्लिम वोटों का भाजपा की ओर खिसकने का कारण- सर्वे से पता चलता है कि समुदाय भाजपा का समर्थन करने के लिए तैयार है, लेकिन संकेत दिया है कि “दोनों तरफ से सहयोग ” की आवश्यकता है और भाजपा को अपना हावभाव बदलने की दरकार है। मुस्लिम वोटों का भाजपा की ओर खिसकने का मुख्य कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न योजनाओं से इन लोगों को उतना ही लाभ हुआ है, जितना कि हिंदु या किसी अन्य धर्म के लोगों को।
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट- अध्ययन से पता चला है कि गैर-भाजपा सरकारों का समर्थन करने से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती चली गई है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार समुदाय की हालत दलितों से भी खराब है। यह रिपोर्ट नवंबर 2006 में आई थी। साल 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज राजेंद्र सच्चर की अध्यक्षता में गठित समिति ने देश में मुसमानों की समाजिक और आर्थिक हालत पर 403 पन्नों की रिपोर्ट दी थी।
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर रिपोर्ट- अमेरिका स्थित प्यू रिसर्च सेंटर की भारत में ‘धर्म, जाति और राष्ट्रवाद के दृष्टिकोण’ को लेकर एक सर्वे के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 20 फीसदी मुसलमानों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया। सर्वे के अनुसार पांच में से एक मुसलमान ने भाजपा को वोट दिया था।
2019 के सीएसडीएस-लोकनीति सर्वे के अनुसार भाजपा को 14 प्रतिशत मुस्लिमों ने समर्थन का संकेत दिया था। जब सीएसडीएस ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले समुदाय से सवाल किया कि क्या उन्होंने मोदी सरकार को एक और कार्यकाल का समर्थन किया, तो 26 प्रतिशत ने “हां” कहा, जबकि 31 प्रतिशत हिंदू समुदाय के लोगों ने कहा था कि मोदी सरकार को दूसरा कार्यकाल नहीं मिलना चाहिए।